युग-युगान्तर की यात्रा के बाद आज भी शास्त्र और शस्त्र की सत्ता सर्वोपरि , भगवान परशुराम सर्व समाज के कल्याण के साथ सनातन धर्म के रक्षक थे: दिलीप पांडे
समाज कल्याण और राष्ट्र हित के लिए बुद्धि समृद्धि के साथ-साथ शक्ति और सामर्थ्य भी अति आवश्यक होता है l शान्ति भाईचारा की बाते करना तब तक अपने आप से धोखा है जब तक हम शक्तिहीन है। निवेदन करने गिड़गिड़ाने मानवता की दुहाई देने से भाई चारा वा एकत्व स्थापित नही होगा यह बात हिन्दुओ को भली भांति समझ लेना चाहिये। शक्ति से युक्त पुरुसार्थी ही मानवता शांति भाईचारे से युक्त भय से मुक्त समाज की गारंटी है। भारत का बहुसंख्यक समाज जिस दिन अपने देवी देवताओं का अनुसरण कर लेगा उसी समय वह विश्व शांति का केंद्र बन जायेगा। हमारे आराध्यों के हाथ अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित है। वह शास्त्र के साथ शस्त्र से भी सुसज्जित है। उनके हाथों में माला के साथ भाला भी है। सर्व समर्थ सर्व शक्तिमान भगवान परशुराम जी के प्रागट्य दिवस के परम पुनीत अलौकिक शुभ अवसर पर आप सभी को शुभकामनाएं। हिन्दू समाज को अपने ही देश भारत मे अस्तित्व के साथ रहना है तो अपनी आत्मा में विराजमान परशुराम जी का गुणों सहित स्मरण करते रहना पड़ेगा।निवर्तमान जिला भाजपा अध्यक्ष श्री दिलीप पाण्डेय जी ने कहा कि धर्म रक्षा के लिए सर्व समर्थ भगवान धरती पर अवतार लेते हैं दुष्टों राक्षसों के विनाश के लिए भगवान अवतरित होते हैं, तथा इस मायारूपी संसार का माया के द्वारा ही उद्धार करते हैं | भगवान परशुराम श्रीहरि विष्णु जी के अवतार है। अर्थात श्रीहरि ही परशुराम के रूप में धरती पर अवतरित हुए। भगवान परशुराम शिव जी के उपासक साधक है। परशुराम जी अखिलकोटी ब्रम्हांड स्वामी शिवजी की कृपा वा शक्ति से सुसज्जित और परिपूर्ण है। मानवता की रक्षा के लिए ,धर्म की स्थापना के लिए दानवी शक्तियों को मिट्टी में मिलाने के लिए जगत पिता स्वयं मानव रूप में धरती पर आते है | जिनका उद्देश्य धरती को धर्म से युक्त करना दुष्ट ताकतों से मुक्त कर मानवीयता स्थापित करना धरती पर सज्जन शक्ति का पोषण करना है। धर्म की रक्षा के लिए भगवान धरती पर अवतार लेते हैं दुष्टों राक्षसों का विनाश करते है जो ब्यक्ति धर्मानुकूल आचरण करता है श्रीहरि सदैव उसका पोषण करते है उसे सफलता प्रदान करते है। उसके जीवन को अपनी कृपा से युक्त कर देते है।भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी ने एक ओर जहां दुरात्माओं का समूल नाश किया वही भगवान शिव की अनन्य भक्ति कृपा तथा शिक्षा से समूचे मानव जाति का कल्याण किया l भगवान परशुराम से बड़ा कोई शिक्षक नहीं हुआ, और ना महान योद्धा | भगवान परशुराम जहां उच्चतम आदर्शों मानबिंदुओं के संस्थापक थे वह शस्त्रधारण कर प्रजा की रक्षा करने में भी तत्पर थे | भगवान परशुराम एवं भगवान श्रीराम जी का संवाद जो की धनुष तोड़ने के संदर्भ में है जिससे हम सभी परिचित है भगवान परशुराम जी के प्रेरक व्यक्तित्व तथा उनके द्वारा किए गए दिव्यकार्यों से सम्पूर्ण धरा अवगत है।भगवान परशुराम का आदर्श चरित्र सभी युगों में सदा प्रासंगिक है। यद्यपि वो चिरंजीवी है। वो धरती पर ही विद्यमान है। वे यथार्थ की ओजस्वी तेजस्वी सर्व समृद्ध शिला पर सुप्रतिष्ठित हैं जो श्रीहरि सर्वशक्तिमान है हम सभी के मनोरथ पूर्ण करने वाले है जो सज्जनों ,संतो अपने उपासकों के लिए फूल से भी कोमल तथा दुष्ट दुरात्माओं राक्षसों अधर्मियो के लिए वज्र से भी कठोर है। -‘वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि’ अन्तः वृत्तियों के संवाहक हैं। मनुष्य में ‘सत्’ और ‘असत्’ का द्वन्द्व कॉमन है। उसके ‘सत्’ का संवर्द्धन करने के लिए ‘शास्त्र’ और ‘असत्’ का नियंत्रण करने के लिए ‘शस्त्र’ का विधान सभ्यता के अरूणोदय काल में किया गया। आज भी मानव चरित्र सत् और असत् से घिरा है, अतः युग-युगान्तर की यात्रा के बाद आज भी शास्त्र और शस्त्र की सत्ता स्वीकृत है।भगवान श्रीपरशुराम जी धर्म, न्याय एवं सामाजिक समानता के साक्षात विग्रह हैं। जब-जब भी समाज में सज्जन शक्ति पर अत्याचार हुआ, तब-तब भगवानश्री ने शोषण करने वाले आतताइयो को दंडित किया। पृथ्वी पर सत्य, समानता, दया, करुणा तथा न्याययुक्त धर्म की स्थापना की। सदैव लोकहित में तत्पर रहने वाले भगवान परशुराम जी की भक्ति और शक्ति से प्रशन्न भगवान शिवजी परशुराम जी से अत्यधिक प्रेम स्नेह करते थे। श्रीपाण्डेय जी ने जिले वासियो से भगवान श्री के प्रागट्य पर्व को महोत्सव के रूप में मनाने की अपील की है। आपने कहा कि श्रीहरि स्वयं परशुराम है जो शिव जी के उपासक है। आप सज्जनशक्ति के पोषक है। आप सर्वशक्तिमान है। हम सबको इस पावन पुनीत अवसर पर अपने घर के देवालय में घर के पास की मंदिर में एक -एक दीप जलाकर प्रभु श्री का स्मरण करके प्रभु श्री का आशीर्वाद प्राप्त करना हैl
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