मनावर से शकील खान
स्वयं होती थी आरती ,घंटियों की सुनाई देती थी आवाज मां काली, लक्ष्मी व सरस्वती के रूप में प्रकट हुई थी माताजी पिंड रूप में देती है दर्शन, अनादि काल से विराजित है यहां
मनावर / मनावर से करीब 4 किलोमीटर दूर बड़वानी मार्ग पर ग्राम देदला से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर प्रकृति की सुंदर वादियों में पहाड़ों के बीच मां काली, मां लक्ष्मी ,व मां सरस्वती पावागढ़, वैष्णो देवी, व बिजासन माता जी के तर्ज पर यहां बेकुल के पेड़ के नीचे पिंड रूप में अनादिकाल से साक्षात विराजित है।
कहते हैं कि पूर्व में यहां घना जंगल होकर शेर ,चीता, भालू आदि जंगली जानवर विचरण करते थे ।यहां कोई आता जाता नहीं था ।तब यहां पर माता जी की स्वयं आरती होती थी। जंगलों के करीब निवास करने वाले लोगों को प्रातः 4:00 बजे ब्रह्म मुहूर्त में घंटी की आवाज सुनाई देती थी।
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