अमलतास विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न
देवास – अमलतास विश्वविद्यालय देवास द्वारा मध्यप्रदेश शासन , उच्च शिक्षा विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे भारतीय ज्ञान प्रणाली और और राष्ट्रीय शिक्षा निति के 2020 के परिपेक्ष्य में अमलतास विश्विद्यालय में आयोजित शिक्षण अधिगम प्रकिया की इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में शोध पत्र प्रस्तुति के लिए देशभर से लगभग 400 से अधिक विशेषज्ञ विद्वान, प्राध्यापक उपस्थित हुवे | इस अवसर पर मुख्य अतिथि अखिल भारतीय संगठन मंत्री पी. शंकरानंद, एम.पी.पी.यु.आर.सी के चेयरमैन डॉ.भरत शरण सिंह, दिल्ली के संस्कृत विद्वान डॉ. चाँद किरण सलूजा , देवास सांसद श्री महेंद्र सिंह सोलंकी, विधायक श्री राजेश सोनकर,प्रो. सदानंद सप्रे डॉ. सोमनाद दयानंद , डॉ. राजीव शुक्ला , डॉ. धीरेन्द्र शुक्ल , अमलतास ग्रुप के संस्थापक श्री सुरेश सिंह भदौरिया और बांगर सरपंच श्री दिलीप जाट ने कार्यशाला में सहभागिता की।
मुख्य अतिथि संगठन मंत्री पी. शंकरानन्द जी द्वारा शिक्षा के मूल उद्देश्य एव, अधिगमन के अर्थ को परिभाषित किया एवं बताया की शिक्षा किसी के अधिन नहीं है शिक्षा सरकार की दया से न होकर इससे परे होनी चाहिए देश , समाज की प्रगति एवं संक्रांति के लिए शिक्षक को सर्वश्रेष्ठ गुरु बनना होगा |
एम.पी.पी.यु.आर.सी के चेयरमैन डॉ.भरत शरण सिंह द्वारा बताया गया की अमलतास विश्वविद्यालय में इस शिक्षा अधिगमन प्रकिया का शुभारम्भ हुआ यह हर्ष की बात है शिक्षा निति पर चिंतन मंथन हुआ एवं इसके परिणाम के अवसर मिलना भी सौभाग्य है |
डॉ.सलूजा द्वारा विभिन्न उदाहरण के माध्यम से शिक्षा निति के पाठ्य योजना के तरीको , अवलोकन ,सुधार पर महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया गया
सोनकच्छ विधायक डॉ. राजेश सोनकर ने कहा, कि शिक्षा हमारी सबसे बड़ी ताकत है। अंग्रेजों ने मैकाले शिक्षा पद्धति से हमारी शिक्षा को आश्रम व्यवस्था, गुरुकूल व्यवस्था से दूर करने का षडयंत्र रचा। हम पर अंग्रेजी थोपने का प्रयत्न हुआ। इससे शिक्षा सीमित होकर रह गई। वह दौर भी आया जब देश आजाद हुआ तो हम उस समय पुरानी शिक्षा पद्धति को लागू कर सकते थे, लेकिन तत्कालीन सरकार ने मैकाले शिक्षा पद्धति को ही लागू कर दिया।
विधायक सोनकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति को लागू किया है, एक बार फिर हमारे समाज, हमारे युवा का आत्मबल बढ़ा है। नई शिक्षा नीति 2020 वैदिक शिक्षण महाशक्ति के रूप में इस देश की पुर्नस्थापना करने के लिए लागू हुई है। वैदिक शिक्षा को धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। वैदिक शिक्षा तो हमारा ज्ञान है। इसमें हमें समाज के प्रति, परिवार के प्रति आचरण, व्यवहार कैसा होना चाहिए जैसी जानकारी भी है। आज शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों की आवश्यकता है।
सांसद महोदय सोलंकी जी ने कहा कि स्वस्थ शरीर के लिए बोद्धिक ज्ञान के साथ शारीरिक ज्ञान भी आवशयक है ज्ञान के क्षेत्र में भारत को उपर उठना चाहिए | ज्ञान मंथन की इस कार्यशाला में समृद्ध शिक्षा प्रणाली में और प्रबल होगी |
विषय विशेषज्ञ डॉ. अतुल कोठारी ने लाइव कॉन्फरन्स में संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों को पढ़ाना एक कला है। बच्चे के मानसिक स्तर का ध्यान रखते हुए पढ़ाया जाना चाहिए। अगर उसके स्तर का ध्यान नहीं रखेंगे तो वह कैसे समझेंगे। शुरुआत में हर दिन 5-5 मिनट एक-दो बच्चे से कक्षा में बात करें और इसका परिणाम बहुत ही श्रेष्ठ होगा। आचार्य व शिष्य के बीच की दीवार ध्वस्त हो जाएगी। फिर बच्चा समस्याओं को लेकर आपसे बात कर सकेगा। बच्चे की क्वालिटी पहचानना जरूरी है।
उन्होंने विराट कोहली का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर विराट कोहली के पिता सोच लेते कि विराट को डॉक्टर बनाना है तो क्या वह डॉक्टर बनता। हर बच्चे में अपनी क्वालिटी होती है। कोई कला में, कोई पढ़ाई में तो कोई खेल में बेहतर कर सकता है। उनकी क्वालिटी को पहचानना चाहिए। बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयारी करना पड़ती है। जो सिखाता है, वह सीखता भी है।
कार्यशाला में डॉ. सदानंद सप्रे ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें भारतीय ज्ञान, परंपरा को बारिकी से समझना होगा। हमें कुछ करना है ऐसी प्रवृत्ति विकसित होना चाहिए। हम ज्ञान देते हैं या जानकारी। हम कई बार जानकारी देते हैं ज्ञान नहीं। हमारा पूरा जोर ज्ञान देने में होना चाहिए। जानकारी को ज्ञान में कैसे परिवर्तित करें यह शिक्षक को समझना होगा।
अतिथियों द्वारा कार्यशाला के ब्रौशर का विमोचन किया गया और अपने उद्बोधन में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर जोर दिया। इस कार्यशाला में देशभर से लगभग 400 से अधिक विद्वानों ने पंजीयन करवाया और इस विचार-मंथन में भाग लिया।
अमलतास विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. शरदचन्द्र वानखेड़े ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, वहीं कुलसचिव श्री संजय रामबोले ने कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों का धन्यवाद ज्ञापित किया । अमलतास विश्वविद्यालय के चेयरमैन श्री मयंक राज सिंह भदौरिया ने बताया कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में विद्वानों द्वारा प्रस्तुत शोध पत्रों के माध्यम से शिक्षा प्रणाली के उच्च गुणवत्ता वाले विषयों पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया जाएगा, जो भविष्य में शिक्षा पद्धति को समृद्ध करेगा। कार्यक्रम में अमलतास मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. ऐ.के. पिठावा , सभी महाविद्यालय के प्राचार्यगण डॉ. संगीता तिवारी , डॉ. आस्था नागर, डॉ. योगेन्द्र भदौरिया , डॉ. अनीता घोडके , डॉ. नीलम खान , डॉ. अंजलि मेहता, एवं डॉ. प्रदीप कुलकर्णी, डॉ. नीमा , डॉ. आर. के सिंह एवं सभी प्राध्यापक उपस्थित थे |
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