वन अर्थ वन फैमिली की घोतक है भारतीय संस्कृति: दिलीप पांडे

*वन अर्थ वन फैमिली की घोतक है भारतीय संस्कृति: दिलीप पांडे*

उमरिया

*वैश्विक प

रिदृश्य में भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिखाई अपनी ताकत: दिलीप पांडे*

 

भारत के वैभव और पराक्रम को माननीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नित नई ऊंचाइयां मिली हैl जी-20 में भारत आज संपूर्ण विश्व का नेतृत्व करते हुए जी-20 की मेजबानी कर रहा हैl यह वही भारत है जिसे कभी जी-20 का सदस्य बनने के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता था लेकिन अपने प्रतिभा सांस्कृतिक विरासत अदम्य आध्यात्मिक साहस असीम विश्वास और दृढ़ इच्छा शक्ति के दम पर आज भारत ने संपूर्ण विश्व का नेतृत्व करने का माद्दा दिखाया हैl भारत में अद्भुत अविस्मरणीय सांस्कृतिक यात्रा से भरा #G20India का पहला दिन बीता है।सुबह जहां कोर्णाक का सूर्य मंदिर आकर्षण का केंद्र बिंदु था वहीं रात्रि भोज के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक साक्षात्कार आज विश्व कर रहा है।यह कहना गलत नहीं होगा कि 75 सालों में पहली बार कोई सरकार वास्तविक भारतीय संस्कृति को इतने भव्य और बारीक तरीके से विश्व पटल पर ला रही है।G20 की अध्यक्षता भारत के लिए गौरवशाली है जो विश्व पटल पर भारत के बढ़ते मान का प्रचंड धोतक भी है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में राष्ट्र सफलता के नित नए आयाम हासिल कर रहा है। विश्व पटल पर माँ भारती का मान बढ़ रहा है जिससे हम सभी भारतवंशी गौरवांवित है। G 20 में सम्मिलित होने पहुचे विदेशी VVIP मेहमानों का ऐसा स्वागत हो रहा है कि वो देखेंगे भारत की विरासत, अखंड भारत की पहचान, भारत की महान संस्कृति और राजा महाराजाओं जैसा भव्य स्वागत जो भारत की अतिथि सत्कार की रीति नीति भी है जिसे वो कभी भुला नहीं पाएंगे। एक बात स्पस्ट है भारत कभी दीन हीन रहा नही भारत समस्त बैभव से युक्त रहा है। बस बात यह है कि मुगल आक्रमणकारियों वा अंग्रेजो ने लूटा,आजादी की लड़ाई के बाद भारत आजाद हुआ किन्तु कांग्रेस ने सत्ता के लिए भारत का विभाजन किया वा सत्ता में रहते काग्रेस ने भारत हित के लिए कोई दृढ़ इच्छाशक्ति नही दिखाईl चीन पाकिस्तान जैसो के दवाव में समय बीता वा काग्रेस सरकार में जो घोटाले हुए उससे आप परिचित ही है। अपनी सनातन परंपराओं को भूलकर विदेशी संस्कृति को बढ़ावा दिया गया यह सब कार्य काग्रेस ने ही किये है। आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत पुनः विश्व पटल पर अपनी ताकत का लोहा मनवा रहा है। G20 सम्मेलन में सोने की थाली में रोटी, चांदी के पात्र में सब्जी, चांदी की चम्मच, चांदी के डिब्बे में नमक और पीतल के पात्र में VVIP मेहमानों को नाश्ता आदि की ब्यबस्था की गई। लेकिन आप चौंकिए मत जितना खर्चा किया जा रहा है उससे अधिक भविष्य में भारत में निवेश होगा , भारत की महान विरासत, संस्कृति का भी प्रचार प्रसार हो रहा है, और सनातन को खत्म करने की चाह रखने वालों के स्थान विशेष भी जलेंगे, क्योंकि भारत को विरासत और संस्कृति का अस्तित्व सनातन से ही है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ हमारी भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहित है। इसका अर्थ है, ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’। यह एक ऐसा सर्वव्यापी दृष्टिकोण है जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन ना हो।

जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है। हम One Earth के रूप में, मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। हम One Family के रूप में विकास के लिए एक-दूसरे के सहयोगी बन रहे हैं और One Future के लिए हम एक साझा उज्जवल भविष्य की ओर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। भाजपा जिला अध्यक्ष दिलीप पांडे ने बताया कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने विश्व एकत्व विश्व बंधुत्व के लिए जो सूत्र दिया जो मार्ग दिखाया उसे सम्पूर्ण विश्व अपना रहा है। कोरोना वैश्विक महामारी के बाद की विश्व व्यवस्था इससे पहले की दुनिया से बहुत अलग है। कई अन्य बातों के अलावा, महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।पहला, इस बात का एहसास बढ़ रहा है कि दुनिया के जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की आवश्यकता है।दूसरा, दुनिया ग्लोबल सप्लाई चेन में सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के महत्व को पहचान रही है।तीसरा, वैश्विक संस्थानों में सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने का सामूहिक आह्वान सामने है।जी-20 की हमारी अध्यक्षता ने इन बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है। दिसंबर 2022 में जब भारत ने इंडोनेशिया से अध्यक्षता का भार संभाला था, तब आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि जी-20 को मानसिकता में आमूल-चूल परिवर्तन का वाहक बनना चाहिए। विकासशील देशों, ग्लोबल साउथ के देशों और अफ्रीकी देशों की हाशिए पर पड़ी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए इसकी विशेष आवश्यकता है।इसी सोच के साथ भारत ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ का भी आयोजन किया था। इस समिट में 125 देश भागीदार बने। यह भारत की अध्यक्षता के तहत की गई सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक रही। यह ग्लोबल साउथ के देशों से उनके विचार, उनके अनुभव जानने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इसके अलावा, हमारी अध्यक्षता के तहत न केवल अफ्रीकी देशों की अबतक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है, बल्कि जी-20 के एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने पर भी जोर दिया गया थाl वर्ष 2015 में, हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस का शुभारंभ किया था। अब, ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस के माध्यम से हम दुनिया को एनर्जी ट्रांजिशन के योग्य बनाने में सहयोग करेंगे। इससे सर्कुलर इकोनॉमी का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा।क्लाइमेट एक्शन को लोकतांत्रिक स्वरूप देना, इस आंदोलन को गति प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है। जिस प्रकार लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर रोजमर्रा के निर्णय लेते हैं, उसी प्रकार वे इस धरती की सेहत पर होने वाले असर को ध्यान में रखकर अपनी जीवनशैली तय कर सकते हैं। जैसे योग वैश्विक जन आंदोलन बन गया है, उसी तरह हम ‘लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबल इनवायरमेंट’ (LiFE) को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण, खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी। इससे निपटने में मोटा अनाज या श्रीअन्न से बड़ी मदद मिल सकती है। श्रीअन्न क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर को भी बढ़ावा दे रहा है। इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स के दौरान हमने श्रीअन्न को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है। द डेक्कन हाई लेवल प्रिंसिपल्स ऑन फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन से भी इस दिशा में सहायता मिल सकती है।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व मे सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थब्यवस्था है। हलाकि भारत का सबसे तेज गति से बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाना कोई आकस्मिक घटना नहीं है। हमारे सरल, व्यावहारिक और सस्टेनेबल तरीकों ने कमजोर और वंचित लोगों को हमारी विकास यात्रा का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया है। अंतरिक्ष से लेकर खेल, अर्थव्यवस्था से लेकर उद्यमिता तक, भारतीय महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। आज महिलाओं के विकास से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व में विकास के मंत्र पर भारत आगे बढ़ रहा है। हमारी जी-20 प्रेसीडेंसी जेंडर डिजिटल डिवाइड को पाटने, लेबर फोर्स में भागीदारी के अंतर को कम करने और निर्णय लेने में महिलाओं की एक बड़ी भूमिका को सक्षम बनाने पर काम कर रही है।

भारत के लिए, जी-20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है। यह तो आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने मार्गदर्शन वा नेतृत्व में मदर ऑफ डेमोक्रेसी और मॉडल ऑफ डाइवर्सिटी के रूप में हमने इस अनुभव के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिये हैं।आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की बात आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है। यह हमारे स्वर्णिम ओजस्वी नेतृत्व का ही परिणाम है। जी-20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है। यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है। जी-20 प्रेसीडेंसी का हमारा कार्यकाल खत्म होने तक भारत के 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकें आयोजित की जा चुकी होंगी। इस दौरान हम 125 देशों के लगभग 100,000 प्रतिनिधियों की मेजबानी कर चुके होंगे। किसी भी प्रेसीडेंसी ने कभी भी इतने विशाल और विविध भौगोलिक विस्तार को इस तरह से शामिल नहीं किया है।भारत की डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डाइवर्सिटी और डेवलपमेंट के बारे में किसी और से सुनना एक बात है और उसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करना बिल्कुल अलग है। मुझे विश्वास है कि हमारे जी-20 प्रतिनिधि इसे स्वयं महसूस करेंगे।हमारी जी-20 अध्यक्षता आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विभाजन को पाटने, बाधाओं को दूर करने और सहयोग को गहरा करने का प्रयास करती है। हमारी भावना एक ऐसी दुनिया के निर्माण की है, जहां एकता हर मतभेद से ऊपर हो, जहां साझा लक्ष्य अलगाव की सोच को खत्म कर दे। जहां मानव मात्र में एक्त्वबोध हो जहां अलगाव की कोई जगह नही हो बल्कि प्राणी मात्र में लगाव हो यही भारत की संस्कृति है। जी-20 अध्यक्ष के रूप में, आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक पटल को बड़ा बनाने का संकल्प लिया था, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि हर आवाज सुनी जाए और हर देश अपना योगदान दे। जिस संकल्प को भी पूरा किया जा रहा है lआदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में G20 नित नए आयाम हासिल कर रहा है। इसका विस्तार भी हो रहा है इसकी विश्वसनीयता भी बढ़ रही है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी के प्रस्ताव पर अफ्रीकी संघ G20 का स्थाई सदस्य बन चुका है। चल रही बैठक में इस विषय पर सभी देशों की सहमति बन चुकी है।

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