दिनांक 10.04.2017 को थाना माधव नगर के तत्कालीन थाना प्रभारी टीआई के पी मिश्रा के विरुद्ध की गई लोकायुक्त की मनगढ़ंत कार्यवाही

इरफान अंसारी SJ न्यूज एमपी उज्जैन

दिनांक 10.04.2017 को थाना माधव नगर के तत्कालीन थाना प्रभारी टीआई के पी मिश्रा के विरुद्ध की गई लोकायुक्त की मनगढ़ंत कार्यवाहीमें पंच साक्षी श्री अभिषेक सिंह ठाकुर सहायक यंत्री लोक निर्माण विभाग बरही जिला कटनी द्वारा ट्रैप कार्यवाही में उपस्थिति के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत चाही गई जानकारी ना देने के कारण लोक सूचना अधिकारी श्री हरि सिंह ठाकुर कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग कार्यालय कटनी जिला कटनी के द्वारा आवेदक निरीक्षक के पी मिश्रा को असत्य,भ्रामक तथा अधूरी जानकारी प्रदान करने पर राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह द्वारा द्वितीय अपील क्या क्रमांक ए-5716/2022 में दिनांक 29.03.2023 को ₹25000 रुपए अर्थदंड का नोटिस जारी किया गया था एवं पेशी तारीख 8.05.2023 नियत की गई थी। नियत दिनांक को श्री हरि सिंह ठाकुर लोक सूचना अधिकारी कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी कटनी सूचना भवन भोपाल में श्री राहुल सिंह राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत किया जो संतोषजनक नहीं पाया गया इनके द्वारा अपीलार्थी थाना माधव नगर कटनी के तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक के पी मिश्रा को असत्य,भ्रामक तथा अधूरी जानकारी देना प्रमाणित पाया गया तथा पंच साक्षी श्री अभिषेक ठाकुर सहायक यंत्री पीडब्ल्यूडी बरही (तत्कालीन) जिला कटनी को लोकायुक्त संगठन जबलपुर का बंधुआ पंच साक्षी होना पाया गया (6 बार लोकायुक्त में कार्यवाही में साक्षी) तथा इनको बुलाने का कोई रिकॉर्ड नहीं संधारित होना पाया जाने से दिनांक 8.05.2023 को लोक सूचना अधिकारी श्री हरि सिंह ठाकुर को 25000 रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया गया है। शायद लोकायुक्त संगठन इससे कुछ सबक सीखें व ईमानदार अधिकारियों के विरुद्ध झूठी कार्यवाही करने से बाज आए।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में दिनांक 20.12.2021 को प्रकरण क्रमांक WP no. 1575 में पारित निर्णय में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश श्रीमान शील नागू साहब की डबल बेंच ने मुख्य राज्य सूचना आयुक्त श्री ए के शुक्ला तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग वल्लभ भवन भोपाल मध्यप्रदेश शासन को भी सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर ₹5000 की शास्ति (cost) अधिरोपित की थी तथा चाही गई जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया था। अभी भी लोकायुक्त संगठन की झूठी कार्यवाहीयां बेरोक-टोक जारी है।

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