झकनावदा की ग्राम पंचायत मे भ्रष्टाचार चरम सीमा पर फिर भी अधिकारी आँख मूंद कर क्यों बैठे हैं। आखिर कार इस पंचायत पर क्यो नहीं होती कार्यवाही।  आख़िरकार जिले के भी अधिकारी क्यो नहीं कर पा रहे है कोई ठोस कार्यवाही

चंद्रशेखर राठौड़ झाबुआ

झकनावदा की ग्राम पंचायत मे भ्रष्टाचार चरम सीमा पर फिर भी अधिकारी आँख मूंद कर क्यों बैठे हैं। आखिर कार इस पंचायत पर क्यो नहीं होती कार्यवाही।  आख़िरकार जिले के भी अधिकारी क्यो नहीं कर पा रहे है कोई ठोस कार्यवाही।

प्रदेश के मुख्यमंत्री जी क्या हो रहा है आपके राज में भ्रष्टाचारी-बेखोफ होकर बैठे हैं और जनता परेशान हो रही है…..

झाबुआ

झकनावदा:- पेटलावद जनपद पंचायत की ये वो बड़ी पंचायत है जहाँ पर भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है उसके बाद भी उच्च अधिकारी है की अपनी आँखे बंद कर के बैठे है। कहने का मतलब है की झकनावदा ग्राम पंचायत मे कोई सुनने वाला नहीं है। अंधे बहरे की पंचायत बन कर रह गई है। सायद इनका साथ देने मे जनपद पंचायत और जिला पंचायत का भी सहयोग है तभी कोई कार्यवाही नही कर रहे है।

 *आखिर कार क्यो?*

बात करे इस गाँव के एक नागरिक की जो पिछले 4 साल से परेशान हो रहा है उसके बाद भी उसे न्याय नही मिला शिवाय आश्वासन के और उसका कारण भी ग्राम पंचायत झकनावदा हि है जिसकी वजह से परेशानी हो रही है। आपको बता दे की इस नागरिक ने अपनी और से वह सारे रास्ते अपनाएँ जो न्याय के लिए सही थे। उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तमाम सबूतों के बावजूद जनपद पंचायत के अधिकारी जिला अधिकारी यहाँ तक की जिला कलेक्टर साहिबा भी कुछ नहीं कर पा रही है। जबकी हाई कोर्ट के आदेशो को भी ताक मे रख दिया है। कोर्ट के आदेश को भी नकार दिया गया। यहाँ तक की जनपद पंचायत की भी बहुत बड़ी मेहरबानी है। उससे आदेश दे कर कहा की आपको 15 दिन मे दुकान मील जाएगी। लेकिन उस बात को भी लगभग 4 महीने होने आ गये। लेकिन आज तक दुकान नही मिली। लोगो की शिकायतों का निवारण तो होता नही लेकिन झूठी तस्सली दे कर दफ़्तर से भगा दिया जाता हैं। की जांच करवाते है। हम बात कर रहे है गाँव के रवि सेन की जो की अपनी ही सैलून की दुकान जो की ग्राम पंचायत झकनावदा में ही पंचायत के सपीप गुमटी मैं अपना और अपने परिवार का पेट भर रहा था। तब ग्राम पंचायत ने उसे गुमटी उठाने को कहा और कहा के आप को यही पर पक्की दुकान बनाकर देंगे। और उसके एवज मै आप हमे 2 लाख 50 हजार रुपये दे दो। क्योकि ग्राम पंचायत यहा पर काम्प्लेक्स बना रही है और आपको इसी स्थान पर जहाँ आपकी घूमटी है यही दुकान मिलेगी। उस गरीब ने ब्याज से पैसे उठा कर अपनी दुकान के लिए ग्राम पंचायत के सचिव को पैसे दे दिए। जिसके तहत ग्राम पंचायत द्वार उसे ठराव प्रस्ताव बनाकर दिया गया। उसे क्या पता था की ग्राम पंचायत उसके पीठ के पीछे छुरा चला रही हैं उस के बाद वही पर काम्प्लेक्स बन कर तैयार हो गया। और इसी ग्राम पंचायत के पंचो ने हि अंदर ही अंदर सभी दुकानों की हेरा फेरी कर ली ओर दुकानों को रेंट पर दे दी गई। जब उसने देखा की उसकी दुकान किसी और को दे दी गई है जबकी उसको मिलना थी। तब रवि सेन ग्राम पंचायत के सचिव से अनुरोध करने गया की आपने तो पैसे मुझसे लिए और दुकान मुझे देने की बात की थी। तो बोले की मेरे हाथों में कुछ नहीं है आप ऊपर वालों से बात करो ओर शिकायत कर दो। ओर मूझे नही पता की कोंन सी दुकान है तुम्हारी अब मेरे पास मत आना। लेकिन उस गरीब को दुकान नहीं दी गई और पैसे भी हजम कर गए और इस के बाद रवि सेन ने अपनी शिकायत को सीएम हेल्पलाइन नम्बर 181 पर अपनी शिकायत को दर्ज कराई। पर जनपद पंचायत पेटलवाद इतनी मेहरबाँन है की ग्राम पंचायत झकनावद पे की बिना जाँच के ही शिकायत का निवारण कर दिया गया और उसे पता भी नही चला। इस तरह रवि सेन के द्वारा 5 बार लगातार शिकायतें 181 पे शिकायकर्ता के द्वारा की गई। पर शिकायत को बिना निवारण के ही हर बार बंद कर दिया गया। उस के बाद उस ने सोचा की झाबुआ जिले पर जाकर जन सुनवाई मैं भी आवेदन करता हूं। लेकिन वहा पर भी कई बार आवेदन दिया पर सिर्फ आस्वासन ही मिला फिर मजूबरन उसने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। क्यूंकि उस गरीब की बात को कोई सुनने को तैयार नहीं था जब कोर्ट के सामने इन सब सबूतों को रखा तो कोर्ट ने जिला कलेक्टर को जांच के आदेश दिए और जांच के दौरान यह पाया गया की इसकी दुकान देना थी। तब कोर्ट ने जिला कलेक्टर जिला पंचायत ओर जनपद पंचायत को आदेश जारी किया की जिला कलेक्टर व जिला पंचायत ओर जनपद पंचायत के समक्ष रवि सेन को साथ मे रखते हुए इसकी दुकान दिलाई जाये। लेकिन उसके बाद भी आज तक दुकान नहीं दी गई। कोर्ट ने उसे अपनी दुकान देने की बात कही और मामला उस के पक्ष मे भी आया आदेशित भी किया पर फिर भी जिला पंचायत और जनपद पंचायत सीईओ और ग्राम पंचायत सचिव के कान मे जू तक नहीं रेकी। ये सब हाई कोर्ट से भी बड़े है क्या?

अब वह गरीब जाए तो जाए कहा उस के पास कुछ बचा नहीं और उल्टा ब्याज के पैसे भर भर के परेसान है और भाजपा के मंत्री कहते है की ग्राम पंचायत को आत्म निर्भर बनाना है तो वो कैसे बनेगी ये देखना बाकी है की क्या इस खबर पर भी जिला कलेक्टर और जिला पंचायत के अधिकारीयों की आँख खुलेगी ओर जनपद पंचायत को निर्देशित करेगी की ग्राम पंचायत पर कोई कार्यवाही कर न्याय दिलाया जाये या फिर इसे भी ठंडे बस्ते मे डाल देंगे। और फिर नई कहानी बनाकर झूठा आश्वाशन दिया जायेगा।

जांच के दौरान के बाद से ग्राम पंचायत झकनावदा के सारे रिकार्ड आज भी जनपद पंचायत मे जप्त हुए थे। क्योकि उनको भी पता है की भ्रष्टाचार के साथ साथ बहुत गलत हुआ है। इस पंचायत मैं और अभी कुछ महीने पहले भी एक खबर आई थी की सरकारी जमीनों के भी नामांतरण बिना किसी सबूत पर रजिस्ट्री करवाई गई। जो की सिर्फ ग्राम पंचायत के लेटर के माध्यम से गई थी जो की गलत है। उसकी जांच भी तहसील स्तरीय पदाधिकारी द्वारा की गई थी।

यह देखा गया है की जिला कलेक्टर छोटी सी गलती भी स्वीकार नहीं कर रही है तो इतनी बड़ी बात अभी तक इनके सानिध्य मे क्यो नही आई और अगर आ भी गई तो कार्यवाही क्यो नही की गई। आखिर कार इस ग्राम पंचायत का इतना भ्रष्टाचार क्यो स्वीकार किया जा रहा है क्यो कार्यवाही नहीं की जा रही है। क्या इस गरीब को कभी नही मिलेगा। रवि सेन जिला कलेक्टर से मीडिया के माध्यम से अनुरोध करता है की उसे न्याय दिलाने मे उसकी मदत करे। ताकि किसी ओर नागरिक को इतनी परेशानी नही हो।

अभी-अभी ताजा खबर भी लगी थी की एक ग्राम पंचायत जो की जनपद पंचायत पेटलावद की हि थी। जिसमे जिला कलेक्टर के द्वारा ग्राम पंचायत के सचिव को निलंबित किया गया था। लेकिन इस मामले मे तो चार साल हो गए है। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं आखिर क्यो।

जिला कलेक्टर क्या इस मामले मे भी पुनः कार्यवाही की प्रकिया अपनाएगी या सीधा ग्रामीण को न्याय दिलाएंगी। इस नागरिक को न्याय कब मिलेगा कब तक इन अधिकारियों के दफ़्तरों के चक्कर लगाते फिरेगा नागरिक।

वहाँ रे प्रशासनिक अधिकारी….. तेरी लीला अपरम पार ग्राम पंचायत के विकास कार्य को और कितना भ्रष्टाचार की भेट चढ़ाओगे….. दुकान का हवाला देकर गरीब से लूट लिए 2 लाख 50 हजार रूपए ओर कर गये हजम।

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