पर्यावरण की रक्षा एवं संदेश देने के लिए ग्राम बावडीया के रमेश पटेल 30 वर्षों से बना रहे हैं गांव में विराजमान करने के लिए मिट्टी की माता की प्रतिमा,रमेश पटेल द्वारा बनाई गई शेर पर सवार प्रतिमा गुरुवार मंदिर में विराजमान हुई 9 दिनों तक होगी पूजा अर्चना
पर्यावरण की रक्षा एवं संदेश देने के लिए ग्राम बावडीया के रमेश पटेल 30 वर्षों से बना रहे हैं गांव में विराजमान करने के लिए मिट्टी की माता की प्रतिमा,रमेश पटेल द्वारा बनाई गई शेर पर सवार प्रतिमा गुरुवार मंदिर में विराजमान हुई 9 दिनों तक होगी पूजा अर्चना,
खंडवा ।। पूरे देश के साथ खंडवा में नवरात्रि का पावन त्योहार बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है. पूरे नौ दिन मां की पूजा पाठ विधि विधान के साथ की जाती है,. माता की स्थापना से पहले मां की मूर्ति को तैयार किया जाता है,लेकिन आपको यह भी जानकर आश्चर्य होगा की खंडवा का एक ऐसा किसान है जो 30 साल से अपने ही खेत एवं गांव की मिट्टी से गांव के लिए मूर्ति बना रहे है और इसका कोई पैसा भी नहीं लिया जाता है ,खंडवा शहर के इस गांव का नाम बावड़ियाकाजी है . यहां एक किसान है रमेश पटेल जो खेती के साथ माता की मूर्ति भी बनाते है, समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि खास बात यें है की रमेश पटेल किसान सिर्फ अपने गांव के लिए ही मूर्ति बनाते है, जिसकी स्थापना ग्रामीणों द्वारा की जाती है. इस काम के लिए रमेश किसी प्रकार का शुल्क नही लेते है.
एक और खास बात यें है की वह अपने ही गांव की मिट्टी से इस मूर्ति को बनाकर पर्यावरण का संदेश दे रहे हैं मूर्ति बनाने में करीब 15 दिन लगते है.रमेश पटेल का कहना है की यह सिलसिला विगत 30 वर्षो से लगातार चल रहा है , इस मूर्ति का निर्माण खेत की मिट्टी से किया जाता है जिससे पर्यावरण पर इसका कोई दुष्प्रभाव न पड़े , समाजसेवी सुनील जैन ने बताया की इस मूर्ति में जो कलर्स डिजाइन किए जाते हैं वह भी नेचुरल चीजों से मिलकर बनाए जाते हैं केमिकल युक्त नहीं होते , इस मूर्ति को गांव को पूरी तरह से समर्पित करते हैं, शेर पर सवार माता जी की आकर्षक कलात्मक प्रतिमा बन चुकी है, जिसकी स्थापना ग्राम बावडीया काजी में राम मंदिर परिसर में इसकी स्थापना गुरुवार को विधि विधान पूजा के साथ की गई 9 दिनों तक पूरे गांव वासी रमेश पटेल द्वारा निर्मित प्रतिमा की आराधना करेंगे , इस मूर्ति में काली भूरी मिट्टी का प्रयोग किया जाता है जिसे हम मूर्ति आसानी से पानी में घुल मिल जाती है , आज के समय में प्रकृति को संजोकर रखना भी हम सब की जिम्मेदारी हैं भगवान के साथ-साथ प्रकृति को भी मनाना चाहिए क्योंकि वातावरण शुद्ध रहेगा तो हमारा मन शुद्ध रहेगा , शरीर स्वस्थ रहेगा। प्रतिमा बनाने में रमेश किशोरी लाल पटेल मलगाया का सहयोग उनके परिजन पीयूष पटेल आयुष पटेल दिव्या पटेल दुर्गा पटेल सागर पटेल अंधारी पटेल व अन्य लोग करते हैं।
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