गुना में सामूहिक अवकाश पर तहसीलदारःजबलपुर में तहसीलदार पर हुई कार्रवाई का विरोध; ज्ञापन देकर FIR निरस्त करने की मांग
जबलपुर में तहसीलदार पर FIR और गिरफ्तारी के विरोध में गुना के सभी तहसीलदार एकजुट हो गए, और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सामूहिक अवकाश पर चले गए। उन्होंने अपनी गाड़ियां भी जमा करा दी हैं। ज्ञापन में कहा है कि कलेक्टर जबलपुर ने शासन के परिपत्र एवं निर्णय, न्यायिक संरक्षण अधिनियम, सिविल सेवा आचरण अधिनियम को दरकिनार कर दिया। उन्होंने सीधे पीठासीन अधिकारी के विरुद्ध अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से FIR दर्ज करवाई है। FIR से पहले शासन से भी अनुमति प्राप्त नहीं की, जो आचरण संहिता का स्पष्ट उलंघन है।
कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के जिलाध्यक्ष गजेंद्र लोधी ने बताया- पीठासीन अधिकारी तहसीलदार संवर्ग के राजपत्रित अधिकारी वर्ग – 2 को अर्ध न्यायिक कर्तव्य पर सेवारत रहते हुए न्यायिक संरक्षण प्राप्त है। जबलपुर में तहसीलदार पर की गई FIR की कार्रवाई इस संरक्षण का उल्लंघन है। इसलिए ऐसी कार्रवाई को तत्काल निरस्त करना चाहिए। ये रहे मौजूद
ज्ञापन के दौरान अध्यक्ष गजेंद्र सिंह लोधी तहसीलदार राघौगढ, धीरेंद्र गुप्ता तहसीलदार मधुसूदनगढ़, कमल सिंह मंडेलिया तहसीलदार गुना ग्रामीण, जीएस बैरवा तहसीलदार गुना नगर, रुचि अग्रवाल तहसीलदार आरोन, तहसीलदार बमोरी देवदत्त गोलिया, तहसीलदार चाचौड़ा अमित जैन, नायब तहसीलदार आरती गौतम, सत्येंद्र सिंह गुर्जर, मयंक खेमरिया, हरिओम पचौरी, जेपी गौतम आदि उपस्थित थे। यह था मामला
जबलपुर जिले में तहसीलदार और पटवारी पर कार्यालय में पदस्थ महिला कम्प्यूटर ऑपरेटर के पिता के नाम एक हेक्टेयर से अधिक जमीन सरकारी अभिलेख में दर्ज करवाने का आरोप है। सरकारी अभिलेख में नाम दर्ज होने के बाद उक्त जमीन को बेच दिया गया। आधारताल एसडीएम शिवानी सिंह ने विजय नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। जिसके बाद पुलिस ने तहसीलदार और पटवारी सहित 7 व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
जिसमें कहा है कि ग्राम रैगवां में मॉडल टाउन निवासी शिवचरण पांडे के पिता महावीर प्रसाद पांडे के नाम पर 1.01 हेक्टेयर जमीन थी। महावीर प्रसाद पांडे की मृत्यु साल 1971 में हो गई थी, जिसके बाद शासकीय अभिलेख में उनके पुत्र का नाम दर्ज हुआ था।
तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे, पटवारी जागेंद्र पिपले तथा कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपा पांडे ने मिलीभगत कर सरकारी अभिलेख में उक्त जमीन श्याम नारायण पांडेय के नाम
पर दर्ज कर दी। श्यामलाल पांडे कलेक्टर कार्यालय में ड्राइवर थे, और कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपा पांडे के पिता थे। उनकी मौत के बाद उक्त जमीन दीपा ने स्वयं तथा भाई रविशंकर व अजय के नाम पर शासकीय अभिलेख में दर्ज करवा ली। इसके बाद उक्त जमीन को करमेता निवासी हर्ष पटेल तथा अमित पाठक को बेच दिया। शासकीय अभिलेख से नाम हटाने के कारण शिव चरण पांडे ने एसडीएम के समक्ष अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई के दौरान पाया गया कि 50 साल पूर्व साल 1970 की वसीयत के आधार पर तहसीलदार ने नाम परिवर्तन के आदेश जारी किए थे। वसीयत पंजीकृत नहीं थी, और जिसके नाम पर वसीयत की गई, उसका महावीर प्रसाद पांडे से कोई पारिवारिक संबंध नहीं था। तहसीलदार, पटवारी, महिला कम्प्यूटर ऑपरेटर और उसके दोनों भाइयों व खरीदारों ने साजिश के तहत फर्जी वसीयत तैयार कर जमीन का नामांतरण किया गया था। पुलिस ने शिकायत पर सभी सात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।
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