मृत्यु के पश्चात भी देखेगी शिक्षक भगत पाण्डेय की आंखें
गंधवानी : सदैव अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित निष्ठावाणी रहे शिक्षक, नगर पुरोहित देवकृष्ण (भगत )पाण्डेय का निधन सोमवार 9:00 बजे मतगणना निर्वाचन कार्य हेतु धार के लिए निकल ही थे कि रास्ते में हार्ट की गति रुक जाने से 58 वर्ष में निधन होगया।निधन का समाचार जिसकी ने सुना वो स्तब्ध हो गया।पाण्डेय हमेशा कहते थे कि मरने के बाद भी मैं किसी के काम आऊं इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा। उनकी इच्छा को ध्यान में रखते हुए उनके भाई अरविंद,रवि, अनिल दीपक व पुत्र नित्यम पाण्डेय ने काउंसलर उमेश राठौर को खबर की उन्होंने एम के इंटरनेशनल नेत्रदान बैंक इंदौर में सूचना दी।
जीएस चौहान कार्निया रेट्रीवल अधिकारी निसरपुर और डॉक्टर चक्रेश पहाड़िया बड़वानी की टीम ने एक आंख का कार्निया निकला। दूसरा ठीक नहीं होने से नही निकला गया। श्री पहाड़ियों ने बताया कि नेत्रदान महादान है ।शिक्षक पाण्डेय की आंख किसी दूसरे की आंख रोशन करेगी।उनके जाने के बाद भी वो दुनिया को देख सकेंगे। हम अति शीघ्र नेत्रदान के लिए एक शिविर का आयोजन लगाकर लोगों को इसके लिए प्रेरित करेंगे।
मरने वाले व्यक्ति का नेत्र दान करना है तो मृत्यु के बाद आंखों की गीली रुई से ठंडक दे। पंखा बंद कर दें ।जिससे कार्निया में नमी बनी रहे। सीर के नीचे तकिया लगा दे। नेत्रदान के दौरान कार्निया निकाला जाता है। पूरी आंखें नहीं निकली जाती है। मृत्यु होने के 6 घंटे के अंतराल पर नेत्रदान किया जा सकता है। नेत्रदान से से ऐसे लोग जो आंखों से देख नहीं पाते है उनकी जिंदगी में रोशनी लौट आती है। गमगीन परिवार का कहना है कि नेत्रदान एक मानव की सच्ची सेवा है। हमारा भाई दूसरों की आंखों की रोशनी बनेगा। यह हमारे लिए गर्व की बात है। गंधवानी से संभागीय ब्यूरो चीफ पंडित नंदन शर्मा की खबर
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