भीषण गर्मी के साथ मंडराने लगा जलसंकट, बैलगाड़ी से पानी लाने लोग हो रहे मजबूर
टीकमगढ़। इन दिनो मोहनगढ़ अंचल में पेयजल की समस्या बढती ही जा रही है। प्राकृतिक जल स्त्रोतों में अब पीने के लिए पानी नहीं बचा है। वहीं अंचल की लगभग 40 ग्राम पंचायतों में लगभग एक हजार से अधिक हैंडपंप खराब पड़े हुए है। इन हैंडपंपों को दुरूस्त कराने के लिए विभाग के अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे है। मोहनगढ़ अंचल में जलस्तर काफ ी नीचे होने से क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मच गया है। लोगों को रोजमर्रा के निस्तार के लिए भी पानी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है। वहीं शहर में हालात यह हैं कि नगर पालिका परिषद द्वारा गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है। गंदा पानी पीने को शहरवासी मजबूर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यदि इन हैंडपंपों को दुरूस्त कराने में विभागीय अधिकारी व कर्मचारी रूचि दिखाते हैं। तो ऐसा नहीं है कि लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिल जाए। ग्रामीणों ने बताया कि कई हैंडपंपों की लाइन कम है, यदि लाइन बढ़ाई जाती है, तो यहां के लोगों को आसानी से पानी उपलब्ध हो सकेगा, इतना ही नहीं यदि इन हैंडपंपों में विद्युत मोटर लगा दी जाए, तो ग्रामीणों को आसानी से पानी नसीब हो जाएगा। लेकिन विभागीय अधिकारी कुंभकरणी नींद में सो रहे है।
मोटरसाइकिल से ला रहे पानी
पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण नित प्रतिदिन नये-नये उपाय खोजते रहते है। ग्राम के ही एक युवक ने करीब 3 किलोमीटर दूर से पानी के लिए अपनी मोटरसाइकिल में हाथ ठेला को जोड़ दिया और हाथ ठेला पर पानी के डिब्बों को रखकर मोटरसाइकिल से खींचकर घर तक लाया जा रहा है। इतना हीं नही एक दिन में यह करीब तीन से चार बार पानी के लिए दूरस्थ स्थानों के चक्कर लगाते है, तब कहीं यह पानी की पूर्ति कर पा रहे है। इसके साथ ही ग्रामीण अंचलों में आज भी यह प्रथा है कि पुरूष पानी भरने के लिए किसी कुएं या हैंछपंप पर नहीं जाते है, जिसके चलते परिवार की महिलाएं सुबह से लेकर देर शाम तक तेज धूप में अपने घर के सारे कामकाज निपटाकर पानी के लिए बर्तन लेकर निकल पड़ती है। तब कहीं यह महिलाएं अपने परिवार की प्यास बुझा पाती है।
नलजल योजना हुई धराशाही
मोहनगढ़ अंचल में नलजल योजना का लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है। कहीं पानी की टंकी निर्मित नहीं है, तो कहीं पर पाइप लाइन नहीं है। यदि पानी की टंकी निर्मित है और पाइप लाइन है तो कनेक्शन नहीं है, नलजल योजना को क्रियान्यवन करने में ग्राम पंचायत के निर्वाचित सरपंच भी रूचि नहीं दिखाते है। हां यदि पानी के परिवहन की बात करें तो इसके लिए जरूर जनप्रतिनिधि आगे रहते है। जबकि मोहनगढ़ अंचल की अनेक ग्राम पंचायतें ऐसी है, जहां पानी का परिवहन केवल कागजों में दिखाई दे रहा है। जबकि हकीकत में आम लोगों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। अब ऐसी स्थिति में आम लोगों को पानी कैसे नसीब होगा।
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