माता रूपी जवारों का गणगौर घाट पर विसर्जन,अनोखी परंपरा जगह-जगह हुए भंडारे, झूठी पत्तले उठाने की लगी बोलियां
खंडवा। भारतीय संस्कृति के अनुरूप धर्म की प्रभावना से निमाड़ का यह गणगौर पर्व लगातार अपनी ऊंचाईयों को छू रहा है। यह पर्व राजस्थान का प्रमुख माना जाता था लेकिन अब मप्र के मालवा-निमाड़ में धार्मिक उत्साह के साथ नौ दिनों तक यह पर्व मनाकर गणगौर माता की पूजा की जाती है। पर्व के अनेक कार्यक्रमों के साथ प्राचीन संस्कृति का एक अद्भूत उदाहरण खंडवा में देखा जा सकता है जब माता की विदाई के पूर्व भंडारों का आयोजन होता है और श्रद्धालुओं को भोजन की पत्तल लगाने से लेकर उनकी झूठी पत्तलें उठाने को लेकर भी उत्साह रहता है।
झूठी पत्तल उठाने के लिए बढ़चढ़ कर बोलियां लगती है और यह बोलियां हजारों रूपयों में लगती है। पत्तल उठाने वाले को भाग्यशाली माना जाता है और यह माना जाता है कि इस कार्य से पुण्य की प्राप्त होती है। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि निमाड़ में नौ दिनों तक पारंपरिक व सामूहिक रूप से मनाया गया गणगौर पर्व अंतिम दिन जवारे विसर्जन के साथ संपन्न हुआ।
रनुबाई-धनियर राजा को गाजे-बाजे व ढोल-ढमाकों के साथ मायके से विदाई दी गई। ढोल-ढमाकों के व युवा के उत्साह के साथ शहर का हृदय स्थल घंटाघर और बांबे बाजार पूरी तरह गणगौर मय हुआ और अलग-अलग क्षेत्रों व समाजों द्वारा सर पर रणुबाई और धनियर राजा के रथ लेकर निकली। अंत में गणगौर घाट पहुंचकर जवारों का विसर्जन नम आंखों से किया।
शहर की सड़कों पर गूंजे माता के जयकारे
नौ दिनों तक रनुबाई को माता पार्वती के रूप में अपने घर में रखने के बाद दसवें दिन जयकारों के साथ विदाई दी गई। पूरा निमाड़ गौर माता के जयकारों से गुंजायमान था मानो आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा हो। शहर के विभिन्न मार्ग रथों को गणगौर घाट ले जा रहे श्रद्धालुओं से सटे पड़े थे। श्रद्धालुओंं द्वारा माता के जवारों को रथों के साथ ले जाकर घाट पर पूजा-अर्चना कर विसर्जित किया गया।
नवरात्र पर्व के अंतिम दिन गुरूवार को ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में भी माता भोज के आयोजन किए गए। निमाड़ में ऐसे कई समाज हैं जिनके द्वारा इस भोज में खाने से लेकर झूठी पत्तलें उठाने तक की बोलियां लगाई जाती है। मेहमानों को खाना खिलाने से लेकर उनकी झूठी पत्तलें उठाने तक में अधिक से अधिक पुण्य मिले इसके लिए बड़ी से बड़ी बोली लगाई जाती है।
समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि वर्षो से गुरव समाज भी इस पर्व को मनाते आ रहा है। पूजा पाठ के साथ ही अंतिम दिन विशाल भंडारा होता है और गणगौर घाट पर माता रूपी जवारों का विसर्जन किया जाता है। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी गुरुव समाज द्वारा अग्रवाल धर्मशाला में गणगौर माता की पूजा अर्चना के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, आयोजित भंडारे में महापौर अमृता अमर यादव विधायक कंचन मुकेश तनवे बुरहानपुर की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जय श्री ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी उपस्थित होकर माता की पूजा अर्चना की एवं भंडारी में प्रसादी ग्रहण की,इस अवसर पर झूठी पत्तल उठाने की बोलियां भी लगी समाज के सुमित पांजरे ,अजय परदेसी, कैलाश परदेसी ,अजय परदेसी अश्विन जुगल सावनेर ,श्वेता पवार ,पुनीत निमाड़े द्वारा बोलिया लगाकर झूठी पत्तल को उठाया गया, आयोजित भंडारे में अध्यक्ष जुगल शर्मा सावनेर, दीपक शर्मा घनश्याम निमाड़े पार्षद सोमनाथ काले भरत कुवादे, विजय पांजरे, लोकेश भद्रवाले, मनोज निमाड़े सहित समाज के पदाधिकारी एवं युवा कार्य कार्यकर्ताओं का सहयोग महत्वपूर्ण रूप से रहा, कार्यक्रम का संचालन दीपक शर्मा द्वारा किया गया है आभार अध्यक्ष जुगल सावनेर सोमनाथ काले द्वारा माना गया।
Leave a Reply