लोकेंद्र सिंह परमार टीकमगढ़
माथे पर तिलक और हाथों पर कलावा बांधने से कोई नहीं रोक सकता-अभिषेक खरे
हर मस्तक तिलक अभियान का भोलनाथ की नगरी कुंडेश्वर से हुआ शुभारंभ
टीकमगढ़। केन्द्रीय विद्यालय की प्रिंसीपल ने बच्चों के माथे पर तिलक लगाने का विरोध करने के बाद से अब बच्चों के माथे पर तिलक और हाथों पर कलावा बांधने की मुहिम चलाने के साथ ही लोगों को जागरूक करने की पहल शुरू कर दी गई है। इस संबन्ध में युवा बीजेपी नेता अभिषेक खरे ने खुले शब्दों में कहा है कि तिलक और कलावा हमारी संस्कृति और आस्था का हिस्सा है। हमें तिलक लगाने एवं कलावा बांधने से कोई नहीं रोक सकता। यदि इस तरह का प्रयास किसी के भी द्वारा किया जाता है, तो उसका डटकर विरोध किया जाएगा। वह यहां पत्रकारों से चर्चा कर इस तरह का कृत्य करने वालों पर अपनी आपत्ति जता रहे थे। बताया गया है कि बसंत पंचमी के अवसर पर टीकमगढ़ के भाजपा नेता अभिषेक खरे रानू ने साधु संतों के साथ बुधवार को हर मस्तक तिलक अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने शिव धाम कुंडेश्वर पहुंचकर लोगों को तिलक और कलावा पहनने का संकल्प दिलाया। इसके बाद कलेक्ट्रेट पहुंच कर जिला प्रशासन के नाम ज्ञापन सौंपा। पत्र के माध्यम से उन्होंने बच्चों के तिलक लगाने का विरोध करने वाले स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
दरअसल, बीते दिनों नगर के केंद्रीय विद्यालय की प्रिंसिपल ने स्कूल के कुछ बच्चों के तिलक लगाने पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद भाजपा नेता अभिषेक खरे ने केंद्रीय विद्यालय पहुंचकर प्रिंसिपल से इस मुद्दे को लेकर विरोध दर्ज कराया था। अब उन्होंने जिले के सभी स्कूलों में हर मस्तक तिलक अभियान चलाने की बात कही है। बुधवार को अभियान की शुरुआत उन्होंने शिव धाम कुंडेश्वर से की। इस दौरान उन्होंने बताया कि पूरे बुंदेलखंड में संतों के नेतृत्व में आठ दिवसीय हर मस्तक-तिलक अभियान चलाया जाएगा। सभी अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व करते हुए तिलक लगाकर इस अभियान का हिस्सा बनेंगे। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति की आस्था को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। श्री खरे ने कहा कि सनातन धर्म का अपमान कई स्कूलों में होता चला आ रहा है। उन्होंने तिलक का आध्यात्मक महत्व बताते हुए कहा कि मस्तक के प्रवेश के सामने से सुषुम्ना नाड़ी जाती है। यह मुख्य नाड़ी कहलाती है, जो मोक्ष दिलाती है। इस पर तिलक लगाना ऊध्र्व गति का संकेत चिन्ह है। जिस प्रकार माताएं बहनें अविवाहित अथवा विवाहित उनकी पहचान है माथे पर सिंदूर, इसी प्रकार कोई भक्त वैष्णव है या नहीं भगवान का भक्त है या नहीं, उसकी पहचान माथे पर तिलक से होती है। उन्होंने वैज्ञानिक महत्व बताते हुए कहा कि तिलक आज्ञा चक्र पर लगाने से व्यक्ति की याददाश्त बढ़ती है। तिलक लगाने से उंगली पर दवाब पढऩे से रक्त संचार बढ़ता है। उन्होंने कहा कि पुण्य कर्म करते हुए सभी को तिलक लगाना चाहिए। उन्होंने शासन प्रशासन से यही मांग है कि इन घटनाओं को लेकर कठोर कार्रवाई हो। श्री खरे ने तिलक को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए सभी युवाओं से तिलक लगाकर अपना फोटो फेशबुक व अन्य साइडों पर डालने की भी अपील की है। इस मौके पर स्वामी देव स्वरूपानंद ने कहा कि ऐसे अभियान समाज में अपनी संस्कृति को जीवंत बनाते हैं। इसी प्रकार विजय राघव मंदिर के संत बब्लू महाराज ने हर मस्तक तिलक अभियान को एतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के पक्ष में इस तरह का अभियान सराहनीय पहल है। उन्होंने सभी संतों से इस तरह के अभियान में शामिल होने का भी आह्वïान किया। इस अवसर पर प्रत्येन्द्र सिंघई, जन्मेजय तिवारी, पियूष खरे, अभिलाष मिश्रा, मनोहर अहिरवार, अजय, गोलू तिवारी, हिमांशु प्रजापति, रोहित यादव, सीमा तिवारी, प्रीति खरे, अंजली अग्रवाल, सूरज रजक, विक्रम बाल्मीकि, राहुल सोनी, ललित बाल्मीकि, अनमोल वंशकार, यश सीरौटिया, संस्कार रजक, सौरभ चतुर्वेदी सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
स्कूल संचालकों को जारी करें आदेश-
अभियान के संयोजक अभिषेक खरे ने ज्ञापन के माध्यम से जिला प्रशासन से मांग की गई है कि बच्चों के तिलक लगाने पर स्कूल प्रबंधन आपत्ति न जताएं। केंद्रीय विद्यालय की प्रिंसिपल ने बच्चों के तिलक धुलवाकर हिन्दू धर्म की आस्था का अपमान किया। जिस पर उनके अभिभावकों ने कड़ी आपत्ति जताई है। ऐसी घटनाएं स्कूलों में दोबारा ना हो। श्री खरे ने कहा कि स्कूलों में तिलक और कलावा बांधकर आने वालों पर यदि किसी प्रकार की आपत्ति जताई गई, तो मजबूरन जिले का युवा सड़कों पर आकर विरोध करने के लिए मजबूर होगा।
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