4 जुलाई 1866 में भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की एजगई जिसमें 16 नंबर 1966 से अपना विधिवत कार्य प्रारंभ किया तब से प्रतिवर्ष 16 नंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मानते हैं। किसी भी देश में लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए चार स्तंभ में से एक महत्वपूर्ण स्तंभ प्रेस पत्रकारिता है जिसे जनता की आवाज भी कहा जाता है प्रेस लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूति प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाता है। मीडिया के सामने आने वाली चुनौतियां और नैतिक पत्रकारिता की आवश्यकता को उजागर करता है भारतीय प्रेस परिषद एक स्वतंत्र एवं जिम्मेदार निकाय है पत्रकारिता पारदर्शीता लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोपरि है लोकतांत्रिक प्रणाली के मूल्यों को मजबूत करने की में सरकार को इसका समाधान खोजने में मदद करता है। पत्रकारिता देश में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखती है प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोपरि है क्योंकि यह सरकार और आम जनता के बीच की कड़ी बनकर मदद करता है।आजादी के पूर्व क्रांतिकारियों का सबसे बड़ा हथियार रहा है प्रेस के आम भूमिका रही है। भारत में प्रेस को वॉच डांग और भारतीय प्रेस परिषद को मोरल डांग कहा जाता है। आज हमें पत्रकारिता के क्षेत्र में निष्पक्षता सत्य निष्ठा और जिम्मेदारी की आवश्यकता को समझना तथा समाज में जागरूकता पैदा करना होगा. राष्ट्रीय प्रेस दिवस का उद्देश्य मीडिया के अधिकारों और कर्तव्य की याद दिलाना है। O,,, खींचो ना कमान ना तलवार निकालो। जब तोप मुकाबील हो तब अखबार निकालो,,o अनवर इलाहाबादी किए पंक्तियां प्रेस की ताकत और महत्व को बढ़ती है
Leave a Reply