अपार आईडी जागरूकता हेतु मानव श्रृंखला बनाकर “अपार” शब्द का निर्माण किया
बड़वानी जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भवती में शासन से प्राप्त निर्देशों के अनुक्रम में अपार दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्था प्राचार्य श्री असलम खान ने संस्था के शिक्षकों, विद्यार्थियों और उपस्थित पालकों को संबोधित कर अपार आईडी निर्माण की सफलता की कहानी सुनाई। प्राचार्य ने बताया कि अपार आईडी बनाने से पूर्व कईं कार्य किए जाना थे। पालकों को जागरूक करना, पालकों के सहमति पत्र प्राप्त करना, बच्चों के डेटा का यूडायस पोर्टल पर सत्यापन और अंत में विद्यार्थी जिनकी जानकारी सत्यापित हो गई है, उनकी अपार आईडी जनरेट करना। जिसे शिक्षकों ने टीम वर्क द्वारा विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के मध्य सामंजस्य बनाकर संपन्न किया।
अपार के नोडल शिक्षक श्री गोपालसिंह बघेल के अनुसार अपार जिसका अर्थ है स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता पंजीकरण, यह एक 12-अंकों की अद्वितीय पहचान प्रणाली है जो भारत के सभी छात्रों के लिए डिज़ाइन की गई है। अपार आईडी प्रत्येक छात्र के शैक्षणिक इतिहास का एक विस्तृत और स्थायी अभिलेख बनाए रखने में मदद करेगा, जिसमें लिए गए पाठ्यक्रम, अंक, प्रमाणपत्र, और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में प्राप्त उपलब्धियाँ शामिल होंगी, और यह सब डिजी लॉकर के साथ इसके एकीकरण के माध्यम से संभव होगा। छात्र कहीं से किसी भी समय अपने शैक्षणिक अभिलेख तक पहुँच सकते हैं, जिससे शैक्षणिक संस्थानों के बीच स्थानांतरण, कौशल, नौकरी या उच्च शिक्षा के लिए आवेदन करते समय भी सुविधा मिलेगी । यह प्रणाली छात्रों के शैक्षणिक अभिलेख को नियमित रूप से अपडेट रखेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उनकी जानकारी हमेशा नवीनतम और सटीक हो।
प्राचार्य श्री असलम खान ने सफलता की कहानी सुनाते हुए कहा, सर्वप्रथम अपार आईडी की आवश्यकता एवं उसका महत्व बताने के लिए पालकों की बैठक आयोजित की गई। शिक्षक शफीक शेख ने अपार के बारे में सभी संभावित प्रश्न तैयार किए और उनके उत्तर भी बताए। इस कार्य से अभिभावकों में अपार आईडी निर्माण के प्रति रुचि दिखाई दी। पालकों को सहमति पत्र वितरित करना और पुनः प्राप्त करने हेतु कक्षा अध्यापकों महेश मालवीय, सुशीला सोलंकी, श्रद्धा भट्ट एवं दुर्गा मुजाल्दा को जिम्मेदारी दी गई। स्कूल डेटा से आधार डेटा का सत्यापन कार्य वरिष्ठ शिक्षकों दशरथ वास्कले, प्रमोद कुमार पटेल एवं अनीस खान को सौंपा गया, जिसे उन्होंने बड़ी गंभीरता एवं सावधानी से पूर्ण किया। विद्यार्थियों और उनके त्रुटिपूर्ण डेटा का विवरण शिक्षक राजीव निगम एवं महेश शिंदे द्वारा तैयार किया गया। उक्त डेटा विवरण का उपयोग कर डेटा सुधार का कार्य गोपालसिंह बघेल, मनीष जोशी एवं गोपाल नरगावे ने संपन्न किया। इस सत्यापित डेटा से त्वरित अपार आईडी जनरेट करने का कार्य आईटी प्रशिक्षक सुश्री मेघा सोनी द्वारा किया गया तथा इसमें शिक्षक मनोज चौहान का सहयोग भी प्राप्त हुआ। इसप्रकार कार्यविभाजन से कार्य में सरलता हुई और दर्ज 263 में से 237 बच्चों की अपार आईडी का निर्माण किया गया । 90ः कार्य पूर्ण होने पर प्राचार्य ने सभी शिक्षकों की प्रशंसा की ।
प्राचार्य ने कहा कि टीम वर्क से बड़े से बड़ा काम संभव है और आपने यह कर दिखाया है। निश्चित ही आप प्रशंसा के पात्र हैं। अपार दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों ने मानवीय श्रृंखला बनाकर अपार शब्द का निर्माण किया । इस अवसर पर प्राचार्य एवं संस्था के वरिष्ठ शिक्षकों दशरथ वास्कले तथा प्रमोद कुमार पटेल द्वारा विद्यार्थी को सांकेतिक अपार कार्ड भी सौंपा गया। उपस्थित सभी बच्चे अपनी अपार आईडी बनने पर बहुत प्रसन्न दिखाई दिए।
जिला परियोजना समन्वयक,श्री प्रमोद कुमार शर्मा ने अपार आईडी जागरूकता हेतु अपार दिवस के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की साथ ही उन्होंने प्राचार्य और उनकी टीम को इस सफलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा अपार “वन नेशन वन आईडी” के रूप में भी जानी जाती है और एक महत्वपूर्ण आईडी है जो बच्चों को अपना अकादमिक रिकॉर्ड डिजिटली रूप में रखने में मदद करेगी और उनकी पूरी शैक्षिक यात्रा में उनके साथ रहेगी। सभी पालकों को चाहिए कि इसकी महत्ता को समझे और बच्चों की अपार आईडी बनाने का सहमति पत्र विद्यालय में जमा करें, आईडी निर्माण कार्य में शिक्षक को सहयोग करें।
Leave a Reply