कलेक्टर ने की छात्रावासी बच्चों के स्वास्थ्य की चिन्ता सहायक आयुक्त ने योजना बनाकर पाया लक्ष्य

खरगोन जिला ब्यूरो 🖊️चीफ जीतू पटेल

लोकेशन खरगोन

कलेक्टर ने की छात्रावासी बच्चों के स्वास्थ्य की चिन्ता सहायक आयुक्त ने योजना बनाकर पाया लक्ष्य

    कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा जब जिले में पदस्थ हुए तो सर्वप्रथम उन्होंने विभागवार समीक्षा बैठकें आयोजित की। इसी तारतम्य में जनजातीय कार्य विभाग समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि छात्रावासी बच्चे बिमारीयों के चलते छात्रावास से घर चले जाते हैं।

     कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा के निर्देशानुसार श्री प्रशांत आर्या ने अधीक्षको की बैठक लेकर चर्चा की तो पाया कि ग्रामीण क्षेत्र में रात्री को इलाज नहीं उपलब्ध होने एवं पाचन समस्या के कारण पालक बीमार बच्चों को स्वस्थ होने तक घर वापस ले जाते है। जिस पर श्री आर्य ने योजनाबद्ध तरीके से इसका हल निकाला। उन्होंने निर्देश दिये कि वे बच्चों की स्वास्थ्य पंजी संधारित की जाकर प्रवेश के समय वजन, ऊंचाई, पारिवारिक बीमारी, स्वास्थ्य आदतें की प्रविष्ठि की जाकर सभी बच्चों का हेल्थ कार्ड बनाया जावे। प्रत्येक माह बच्चों का चिकित्सक से परीक्षण करवाकर जानकारी संधारित करे, ताकि बच्चों की प्रगति के बारे में नजर रखी जा सकी।

     प्रत्येक छात्रावास में मेडिकल किट उपलब्ध करायी गई। साथ ही छात्रावासों की नजदीकी चिकित्सक से मैपिंग कलेक्टर श्री शर्मा के आदेश से की गई। जिससे रात्री में भी आवश्यकता होने पर चिकित्सक से संपर्क किया जा सकें। विद्यार्थियों की कार्यशाला लगाकर उन्हें स्वच्छ आदतों की जानकारी दी गई। प्रति माह स्वास्थ्य परिक्षण आवश्यक किया गया।

     योजना की गुणवत्ता सुधार हेतु श्री आर्य ने सभी छात्रावासों में मीनू चस्पा करने के साथ ही व्हाट्सएप ग्रुप पर बच्चों के भोजन करते हुए फोटो डालना अनिवार्य किया गया। जिसके निरंतर निरीक्षण से भोजन की गुणवत्ता में भी सुधार आया। इन सब प्रयासों के साथ पीने के पानी की स्वच्छता वाटर फिल्टर आदि प्रयासों के अब परिणाम आने लगे हैं और छात्रों के बीमार होने की शिकायतें कम होती जा रही है।

    कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि दूरस्थ अंचल के छात्र-छात्राएं अपने माता-पिता को छोड़कर हमारे पास अध्ययन हेतु आते हैं। ऐसी स्थिति में हम ही उनके पालक हैं। उन्हें अपने पिता का अनुशासन देने के साथ ही मां का भावनात्मक सहारा देना भी हमारा ही काम है। इस भावना को लेकर किए गए कार्य के अब अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। प्रशासन के इस मर्मस्पर्शी एवं संवेदनशील रवैये की दूरस्थ आदिवासी अंचल के पालक भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं।

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