कुलदेवी हरसिद्धि माता का वार्षिक मेला: परवरिया वाली हरसिद्धि माता की पूजा के बाद वहीं बाटी चूरमा का प्रसाद तैयार कर लगा रहे भाेग

ब्यूरो चीफ नरेन्द्र राय SJ न्यूज़ एमपी

लोकेशन रायसेन

रायसेन।रायसेन शहर से लगभग तेरह किमी दूर स्थित परवरिया गांव में मां हरसिद्धि माता का प्राचीन मंदिर है। माता का यह दरबार रायसेन, विदिशा, भोपाल, सीहोर,होशंगाबाद सागर सहित आसपास के जिलाें के लोगों की कुल देवी मानी जाती हैं। इन जिलों से लोग परिवार सहित पहुंचकर पूजा-अर्चना करने के साथ मंदिर परिसर में ही दाल-बाटी और लड्डू चूरमा का प्रसाद तैयार कर मां को भोग लगा रहे हैं। इसके बाद मंदिर परिसर में ही परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।

यह परंपरा सालों से चली आ रही …. परवरिया वाली मैया के दरबार में यह वार्षिक मेला अमावस्या से प्रारंभ हो गया है,जो एक माह तक चलेगा।यह सालों पुरानी परंपरा के लिए देवी भक्ताें के आने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। सुबह से शाम तक यहां भक्तों की भीड़ लग रही है।
यह है मान्यता: जो एक बार प्रसाद ग्रहण कर ले, उसे हर साल पूजन दर्शन आना पड़ता है।
ऐसी मान्यता है कि यदि कोई भी हिन्दू परिवार का सदस्य हरसिद्धि माता का प्रसाद ग्रहण कर लेता है तो उसे हर साल परिवार सहित दरबार में आकर पूजा-अर्चना कर प्रसाद चढ़ाना पड़ता है। यह परंपरा सदियों से यहां चली आ रही है। यही कारण है कि एक माह तक चलने वाले इस वार्षिक मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। दान के रूप में मिलने वाली राशि से ट्रस्ट द्वारा मंदिर के विकास के लिए लगातार कार्य कराए जा रहे हैं।

परवरिया में है हरसिद्धि माता का तीसरा दरबार……
मां हरसिद्धि माता का एक मंदिर तरावली, दूसरा उज्जैन और तीसरा रायसेन के परवरिया गांव में स्थित है। हरसिद्धि माता मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ऋषिनाथ सिंह कुशवाह द्वारका प्रसाद राठौर सचिव सेवक राम चतुर्वेदी एडवोकेट बताते हैं कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य अपने वाहनों के कारवां के साथ बैलगाड़ी से हरसिद्धि माता की प्रतिमा लेकर जा रहे थे। विदिशा से होकर जैसे ही उनके वाहनों का कारवां रायसेन जिले के परवरिया गांव पहुंचा तो एक टीले के नजदीक नीम के पेड़ के नीचे हरसिद्धि माता की प्रतिमाएं लेकर रुका।
सुबह जब रवाना होने लगे तो बैलगाड़ी के पहियों की धुरी टूट गई। इसे बदलने के बाद बैलगाड़ी चलने पर पलट गई। माता हरसिद्धि की तीन पिंडी रुपी प्रतिमाएं चबूतरे पर रखा गईं।उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने हरसिद्धि माता की इन प्रतिमाओं को इसी चबूतरे पर धार्मिक विधि विधान से विराजित करा दिया।तभी से यह दरबार यहां के लोगों का आस्था का केंद्र है और लोग हर सिद्धि माता को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते आ रहे हैं।

About Author

Categories: ,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!