जगतगुरु महाराज ने पुण्य प्रवचन में बताया केवट को निर्मल भक्ति का वरदान पुरुषोत्तम पीठ बरा धाम में चल रही है राम कथा

ज्ञानेंद्र कुमार यादव की रिपोर्ट

जगतगुरु महाराज ने पुण्य प्रवचन में बताया केवट को निर्मल भक्ति का वरदान पुरुषोत्तम पीठ बरा धाम में चल रही है राम कथा

सतना।

अमरपाटन तहसील के अंतर्गत पुरुषोत्तम पीठ बरा धाम में आयोजित श्री राम कथा के अवसर पर जगतगुरु स्वामी श्री जयराम देवाचार्य जी महाराज ने अपने मुखारविंद द्वारा केवट संवाद का सुंदर वर्णन किया,

जिस पर श्री रामकथा सुनने आए श्रोतागण भावभिवोर हो गए।

 देवी धाम में आयोजित श्री रामकथा के छठवें दिन जगतगुरु स्वामी जयराम देवाचार्य जी महाराज ने अपने मुखारविंद से केवट की परम भक्ति का वर्णन किया। केवट ने राम-लक्ष्मण और सीता माता को गंगा पार लेकर गए केवट को निर्मल भक्ति का वरदान देकर प्रभु श्रीराम ने गंगा किनारे पहुंचकर गंगा मैया की पूजा अर्चना की। उसके बाद प्रभु श्रीराम प्रयागराज पहुंचे,और ऋषि भारद्वाज से भेंट की। एक रात ऋषि भारद्वाज के आश्रम में विश्राम करने के उपरांत अगले दिन प्रातः काल आगे बढ़े और महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में पहुंचने पर ऋषियों ने प्रभु की सुंदर स्तुति गाई।

उसके बाद प्रभु श्रीराम ने महर्षि बाल्मीकि से स्थान पूछकर चित्रकूट में निवास किया। दूसरी तरफ सुमंत वापस अयोध्या पहुंचे और राजा दशरथ ने जब सुना कि राम वापस नहीं आए, तो दशरथ ने राम के वियोग में प्राण त्याग दिए। उधर भरत अपने ननिहाल से वापस आए और पिता का अंतिम संस्कार किया गया। उसके बाद बैठी राजसभा में भरत जी ने निर्णय लिया कि वन में जाकर श्रीराम को राजसत्ता सौंप दी जाए, फिर भरत जी सभी माताओं और अयोध्या वासियों को साथ लेकर चित्रकूट में पधारे और राम जी से भेंट हुई। भरत जी ने प्रभु श्री राम से राजगद्दी संभालने का आग्रह किया। जिस पर श्री राम ने राजसत्ता अस्वीकार कर दी ओर श्रीराम ने भरत को अपनी चरणपादुका दीं। भरत चरणपादुका साथ लेकर वापस अवधपुरी आए और राम जी की चरण पादुकाओं से आज्ञा लेकर राजसत्ता का कार्य संभाला था।

 भगवान श्रीराम जी के वन गमन का वृतांत सुनाया। उन्होंने उन्होंने मंथरा दासी का उदाहरण देते हुए कहा कि कुसंग का परिणाम हमेशा भयंकर होता है। भजनों की प्रस्तुति पर वातावरण भक्तिमय हो गया।

 कुसंग का परिणाम भयंकर होता है। मंथरा दासी के कहने पर माता कैकेयी ने महाराज दशरथ से अपने दो वरदान मांगे। जिन्हें सुनकर महाराज दशरथ व्याकुल हो गए। महाराज दशरथ कैकेयी से अपना वरदान बदलने को कहते हैं, परंतु कैकेयी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। राजा दशरथ पूरी रात राम-राम करते रहे और रोते रहे। सुबह अयोध्यावासी महाराज के दर्शन करने महल पहुंचे जाते हैं। जब राम पिता महाराज दशरथ की दशा देखते हैं तो भगवान श्रीराम भी रो पड़ते हैं और माता कैकेयी से कहते हैं कि वह बेटा भाग्यशाली होता है जो अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करता है।

इस अवसर पर प्रमोद बिहारी दास जी महाराज एवं गुरु प्रसन्न दास जी महाराज ने पुण्य प्रवचन दिए।

 इसके साथ ही कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पालन चतुर्वेदी स्पीकर नगर निगम सतना, ममता पांडे पूर्व महापौर सतना, डॉक्टर केशव त्रिपाठी रामपुर बघेलान, रमाकांत पांडे अंजनी शुक्ला सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन मौजूद रहे।

About Author

Categories:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!