बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में गुना में जन आक्रोश सभा का आयोजन

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में गुना में जन आक्रोश सभा का आयोजन

 बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हिंसा और उत्पीडऩ के विरोध में सकल हिंदू समाज जिला गुना द्वारा हनुमान चौराहा पर एक जन आक्रोश सभा का आयोजन किया गया। सभा में विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों के प्रमुख वक्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य भारत प्रांत के सह बौद्धिक प्रमुख प्रमोद पवार थे। मंच पर खड़ेश्वरी मंदिर के महंत खड़ेश्वरी महाराज साध्वी राधा किशोरी, कल्याणेश्वर महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघ चालक अशोक कुशवाह जैसे विशिष्ट जन मौजूद रहे। सभा का संचालन विभाग संपर्क प्रमुख गोपाल स्वर्णकार ने किया। सभा के उपरांत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे इस्लामिक अत्याचारों पर भारत सरकार से कूटनीतिक हस्तक्षेप की मांग की गई।

*ज्ञापन सौंपकर उठाई मांगें*

इस दौरान सकल हिंदू समाज द्वारा राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा की घटनाओं का हवाला देते हुए मानवाधिकारों की रक्षा और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मांग उठाई। जिसमें कूटनीतिक हस्तक्षेप करते हुए भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार के समक्ष इन घटनाओं पर कड़ी आपत्ति दर्ज करानेे और हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाने की मांग की। वहीं संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों से इन अत्याचारों का संज्ञान लेने और प्रभावी कार्रवाई की अपील की गई। साथ ही मांग गई कि इन घटनाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रमुखता दी जाए, ताकि विश्व समुदाय इस गंभीर समस्या से अवगत हो सके। इसके अलावा राहत एवं पुनर्वास के तहत पीडि़़त परिवारों को आर्थिक, कानूनी और मानसिक सहायता प्रदान करने और उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक उपाय करने की मांग की गई।

*बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचार की हालिया घटनाएं*

दरअसल बांग्लादेश में हाल ही में हुए तख्तपलट के बाद अल्पसंख्यक खासकर हिन्दूओं पर हमले और प्रताडऩा के मामलों में तेजी आई है। ज्ञापन में पिछले कुछ महीनों में हुई घटनाओं का हवाला दिया गया। जिसमें रंगपुर में ऐतिहासिक काली मंदिर पर हमला और मंदिर को आग के हवाले करने, चटगांव में हिंदू किशोरी का अपहरण, धर्मांतरण और नृशंस हत्या, कुमिला में दुर्गा पूजा के दौरान पंडाल पर हमला और देवी प्रतिमाओं का अपवित्रीकरण करने, नरेनगंज में हिंदू व्यवसायियों की दुकानों को आग के हवाले करने, सिलहट में प्रतिष्ठित हिंदू पुजारी की दिनदहाड़े हत्या करने के मामला का जिक्र किया गया। इसके अलावा गाजीपुर में हिंदू परिवारों को जबरन घरों से बेदखल करने, बारीसाल में हिंदू महिला के साथ सामूहिक बलात्कार, फेनी में हिंदू बहुल गांव में आगजनी और सैकड़ों लोगों का विस्थापन करने, राजशाही में होली उत्सव पर हिंदुओं पर हमला और संपत्ति की लूटपाट तथा राजधानी ढाका में ही प्रमुख हिंदू मंदिर पर हमला और धार्मिक ग्रंथों का अपवित्रीकरण करने के मामलों का जिक्र किया गया।

*सभा में बोले वक्ता, यह मानवता के मूल्यों पर सीधा हमला*

सभा में वक्ताओं ने इन घटनाओं पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीडऩ नहीं है, बल्कि मानवता के मूल्यों पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि भारत, जो धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, अपने पड़ोसी देशों में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा अग्रसर रहा है।

*भारत सरकार से कार्रवाई की अपील*

सभा में वक्ताओं ने मांग की कि भारत सरकार इन घटनाओं पर तुरंत हस्तक्षेप करे और बांग्लादेश सरकार पर कूटनीतिक दबाव बनाए। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाकर हिंदू समुदाय को सुरक्षा और न्याय दिलाने का प्रयास करे। सभा में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। यह जन आक्रोश सभा एकजुटता और न्याय की मांग का प्रतीक बनी, जिसने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के दर्द को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया

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