सरपंच सचिव रोजगार सहायक एवं उपयत्री प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन को लगा रहे पलीता !
दमोह में प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन को जिम्मेदार ही पलीता लगा रहे हैं, ऐसे में इस मिशन का उद्देश्य पूरा होते नजर नही आ रहा है। सरपंच, सचिव, उपयंत्री, सीईओ आदि सभी अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार दमोह जिले के जनपद पंचायत तेंदूखेड़ा के अंतर्गत ग्राम पंचायत माडनखेड़ा में सरपंच तथा सचिव अपनी मनमानी चलाकर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सोखता गड्ढों का निर्माण कार्य करा रहे है इसके अलावा इन कार्यों को स्टीमेट के हिसाब से नही किया गया जिससे कार्य गुणवत्ता विहीन नजर आ रहे हैं। उक्त कार्य मे जगह जगह लापरवाही और लीपापोती के सबूत दिख रहे हैं।
ग्राम पंचायत में कल्याण खेत के कुएं के पास सोखता गड्ढे का निर्माण करीब 30 हजार रुपए की लागत से हुआ है जिसमें एक मजदूर तखत सींग लोधी ने पूरा काम कर दिया और उसे 6 हजार 400 रुपए का भुगतान भी कर दिया साथ ही इस निर्माण कार्य में बाकि बची राशि दादा कंस्ट्रोक्सन को 23 हजार 600 का भुगतान भी कर दिया गया, जबकि निर्माण कार्य को स्थिति का अंदाजा फोटो देखकर लगाया जा सकता है।
इसी तरह एक अन्य सोखता गढ्ढा निर्माण कार्य नन्हें कुआं के पास भी किया गया, मजदूरी की राशि 6 हजार 400 तख़त सींग और सामग्री का भुगतान 23 हजार 600 दादा कंस्ट्रोक्सन को किया गया यह निर्माण कार्य भी एक ही मजदूर ने किया है जबकि निर्माण स्थल पर ऐसा कोई निर्माण कार्य दिखाई नही दिया जिसे देखकर ऐसा लगे कि यहां 30 हजार रुपए खर्च हुए हों।
इस ग्राम पंचायत माडनखेड़ा में इसी तरह के लगभग दो दर्जन सोखता गढ्ढा बनाए गए, कहीं कहीं तो नाम में उलटफेर कर कागजों में निर्माण कार्य होने के आरोप भी ग्रामीणों ने लगाए हैं। कुछ निर्माण कार्यों की सामग्री वेंडर की मिलीभगत से अवैधानिक रूप से आहरित कर ली गई, जबकि मौके पर न तो निर्माण सामग्री दिखी न ही निर्माण कार्य।
तेंदूखेड़ा जनपद की अधिकांश ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन में जमकर लापरवाही बरतकर लीपापोती हो रही है। माढ़नखेड़ा पंचायत के गुणवत्ता विहीन कार्य की स्थिति देखकर ग्रामीणों के आरोप कहीं न कही सच साबित होते नजर आ रहे हैं ग्राम पंचायतों एवं जनपद पंचायत, जिला पंचायत में बैठे जिम्मेदारो के सामने खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा हैं और जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हैं जिसके कारण शासकीय योजनाओं का दुरुपयोग हो रहा हैं।
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