लोकेंद्र सिंह परमार टीकमगढ़
सागौन की बेशकीमती लकड़ी काटने का मामला हुआ उजागर, मामला रफा दफा करने में जुटा अमला वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मेहरवान

टीकमगढ़। जिले को हरियाली विहीन बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। हजारों पेड़ों की कटाई विकास और अन्य कार्यों के नाम पर करा तो दी गई हैं। लेकिन शर्तों के अनुसार उसके अनुपात में न तो पेड़ लगाए गए हैं और न ही पेड़ों की सुरक्षा की जा रही है। जंगलों का सफाया करने और इलाकों को मैदानी बनाए जाने के बाद भी अधिकारियों की चुप्पी ने आम लोगों की नाराजगी बढ़ा दी है। जंगल माफियाओं के कुचक्र का उजागर करने और विभाग में बढ़ते भ्रष्टïाचार का पर्दाफाश करने के लिए यदि जिले में उच्च स्तरीय टीम द्वारा जांच की जाती है, तो बड़े पैमाने पर इसका भंडाफोड़ हो सकेगा। जिले की नर्सरी और जंगलों की दुर्दशा यहां के अफसरों की कारगुजारियों को उजागर करते नजर आ रहे हैं। पेड़ों की कटाई के संबन्ध में सामने आने वाली शिकायतों पर भी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होने से दबंगों के हौसले बुलंद बने हुए हैं। अब देखना है कि हजारों-लाखों रूपए की राशि खर्च कर वनों का बसाने का दावा करने वाले अधिकारियों की कार्यशैली का अवलोकन आखिर कब तक यिा जाएगा। बताया गया है कि जिले के वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण क्षेत्र के जंगल खोखले और बंजर होते जा रहे हैं। अधिकारियों की अनदेखी के कारण वन माफि या जंगल में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। वन विभाग की मिलीभगत के चलते माफि याओं पर अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। ऐसा ही मामला सामने आया है कि बल्देवगढ़ अनुभाग के वन परिक्षेत्र कुड़ीला अंतर्गत मचिया मंदिर के पास गुरुवार की रात्रि में सागोन के पेड़ों की कटाई करते हुए जंगल से वन माफि या को मौके पर ही वन रक्षक ने एक ही आरोपी को पकड़ कर बल्देवगढ़ ले गए जिसमें वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ने आरोपी से पूछताछ में बताया कि आठ लोगों ने सागोन काटने में शामिल है। लेकिन इस मामले में बल्देवगढ़ के वन विभाग अधिकारी और वन माफिया की मिलीभगत से अन्य आरोपियों से साठगांठ कर मामले से अलग कर दिया गया है। जिससे वन माफि या बेखौफ होकर जंगल को उजाडऩे में लगे हुए हैं और वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और वन माफि या अपनी-अपनी जेबे भर रहे हैं। जिसके कारण कभी घने और आकर्षक दिखने वाले जंगल आज खोखले और उजाड़ नजर आने लगे हैं। माफियाओं के कारण बाहर से घने दिखने वाले जंगल अंदर पूरी तरह खोखले हो गए हैं। वन माफि या की यह कारगुजारी जिला मुख्यालय के जंगल से लेकर कुड़ीला रेंज के जंगल में खुलेआम देखी जा सकती है। इसके बाद वन विभाग चुप्पी साधकर बैठा हुआ है।
इनका कहना
आरोपी के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है, जिसमें अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।
नीतेश सोनी रेंजर, वन परिक्षेत्र बल्देवगढ़










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