दमोह से अमर चौबे
अवैध रूप से संचालित हो रहे दिव्यांग छात्रावास, जिम्मेदार बेखबर
दमोह : जिले में दिव्यांगों के शिक्षण पुनर्वास के लिए सरकारी स्तर पर कई योजनाएं संचालित की जा रही है। शासकीय रूप से जहां जिले में एक दिव्यांग छात्रावास संचालित भी किया जा रहा है वहीं अनेक अशासकीय मिशनरी दिव्यांग छात्रावास अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। जिसमें जिले के दूर दराज के गांव से बच्चों को प्रवेश देकर रखा जा रहा है।
जिनमें दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों का आरोप है कि प्रवेश देते समय उन्हें या बच्चों को किसी भी प्रकार का कोई भी दस्तावेज नहीं दिया जाता है ताकि वे कहीं भी इस बात का जिक्र ना कर सके ना ही यह बता सके कि उनका बच्चा कि छात्रावास में रहता है जानकारी के नाम पर ऐसे छात्रावास में रह रहे बच्चों के माता-पिता सिर्फ स्थान बता देते हैं कि मेरा बेटा या बेटी फलां स्थान पर संचालित हो रहे छात्रावास में रहता है।
दरअसल नगर के सिविल वार्ड में नेत्र चिकित्सालय परिसर की पहली मंजिल पर भी एक छात्रावास संचालित होने जानकारी मीडिया को मिली जो अपने आप में चौका देने वाली है। शहर के बीचो-बीच स्थित होने के बावजूद किसी भी सरकारी महकमे के कानो कान यह खबर नहीं लगी कि यहां पर भी दिव्यांग जनों का छात्रावास मिशनरी द्वारा संचालित किया जा रहा है। मिशनरी विवेक लाल द्वारा संचालित इस हॉस्टल जिस पर अवैध रूप से सरेआम संचालित होने के आरोप है जिसमे तकरीबन 106 दिव्यांग छात्र-छात्रायें रह रही है। जिसकी कवरेज करने मीडिया की एक टीम पहुंची तो रातों रात उन बच्चों को अन्य जगह शिफ्ट कर दिया गया। अब सवाल यह है कि क्या यह सब सिर्फ सेवा के लिए हो रहा है यह इसके पीछे कोई अन्य उद्देश्य छिपा है जिसके लिए मिशनरी संचालक यह काम करते हैं।
बता दें कि लगभग एक से डेढ़ साल पहले राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने भी बाईपास स्थित एसआरसीडी दिव्यांग छात्रावास में छापा मार कार्यवाही की गई थी तब भी इस छात्रावास के संचालकों के पास मौके पर कोई भी वैद्य दस्तावेज या अनुमति नहीं पाई गई थी जबकि उस समय भी इस छात्रावास में करीब एक सैकड़ा दिव्यांग छात्र-छात्राएं रह रही थी। नवंबर 2022 में हुई इस कार्यवाही में संचालकों के ऊपर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी इसी मामले में एक केस भी हाईकोर्ट में वाइस प्रिंसिपल एसआरसीडी हॉस्टल में लगाया गया था जिसमें अनुमति के लिए मोहलत मांगी गई थी तब इसमें माननीय न्यायालय के द्वारा जनवरी 2023 में अपने आदेश में कहा था कि संचालक अनुमति हेतु सात दिवस के अंदर ऑनलाइन आवेदन जमा करें एवं सरकारी पक्ष को निर्देशित किया था कि उनके आवेदन पर 30 दिवस में निराकरण करें। लेकिन जानकारों की माने तो आज दिनांक तक इन्हें कोई भी अनुमति प्राप्त नहीं हुई, महिला बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग एवं सामाजिक न्याय विभाग से इस संबंध में पूछताछ करने पर सभी ने इस छात्रावास का कोई भी अनुमति पत्र जारी करने से इनकार किया।
अब सवाल है कि अवैध छात्रावास किसके संरक्षण में दमोह जिले में फल फूल रहे हैं उसके पीछे क्या मायाजाल है यह जांच का विषय है। अब देखने वाली यह बात भी होगी कि सरकारी महकमा और जिला कलेक्टर के नजदीक बैठने वाले सामाजिक न्याय विभाग के जिला प्रभारी अर्पित वर्मा इस संबंध में क्या कार्यवाही करते हैं।
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