अहिल्याबाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष पर गुना में बुद्धिजीवी विचार गोष्ठी आयोजित

अहिल्याबाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष पर गुना में बुद्धिजीवी विचार गोष्ठी आयोजित

गुना पुण्यश्लोक पूज्य देवी अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी वर्ष की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी जिला गुना द्वारा एक निजी होटल में बुद्धिजीवी विचार गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के संभागीय संगठन मंत्री दिनेश चंद्र शर्मा ने लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें भारतीय इतिहास की महान शासिका बताया। श्री शर्मा ने कहा कि अहिल्याबाई का जीवन धर्म, सेवा और सुशासन का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने काशी, हरिद्वार, अयोध्या, सोमनाथ, रामेश्वरम जैसे धार्मिक स्थलों पर मंदिर, घाट, धर्मशालाएं और भंडारे स्थापित कर धार्मिक पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने यह भी बताया कि अहिल्याबाई ने मणिकर्णिका घाट का निर्माण कराया, और पुजारियों के लिए पूजा व्यवस्था शुरू की, जो आज भी जारी है।

कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सिकरवार ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए लोकमाता के प्रजावत्सल, लोकमंगलकारी और साधना से युक्त जीवन पर विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन जिला संयोजक विकास जैन नखराली ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन भाजपा जिला महामंत्री संतोष धाकड़ ने किया। इस अवसर पर आभा दहीभाते ने लोकमाता अहिल्याबाई पर आधारित नाटक की जानकारी साझा करते हुए उनके जीवन प्रसंगों को रेखांकित किया। दिनेश शर्मा ने कहा कि जब देश में महिला सशक्तिकरण की कल्पना भी नहीं थी, तब अहिल्याबाई ने शासन, धर्म, सामाजिक कल्याण, किसानों, महिलाओं और कारीगरों के लिए उत्कृष्ट कार्य किए। उन्होंने ‘माहेश्वरी’ साड़ी को वैश्विक पहचान दिलाई। कार्यक्रम में वक्ताओं ने अफसोस जताया कि इतिहास में ऐसे महान चरित्रों को शिक्षा प्रणाली में उचित स्थान नहीं मिला। अहिल्याबाई के त्याग, समर्पण और सेवा के कारण ही उन्हें ‘पुण्यश्लोक’ उपाधि मिली। आज भी देशभर में उनकी स्मृति में प्रतिमाएं स्थापित हो रही हैं और लोग उन्हें श्रद्धा से याद कर रहे हैं।

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