हरिपुर को नगर निगम में शामिल न किया तो गुना भी न बने नगर निगम: विधायक पन्नालाल शाक्य, प्रेसवार्ता में जताई नाराजगी, बोले- चुने हुए जनप्रतिनिधि की अनदेखी, जनता के साथ अन्याय

हरिपुर को नगर निगम में शामिल न किया तो गुना भी न बने नगर निगम: विधायक पन्नालाल शाक्य, प्रेसवार्ता में जताई नाराजगी, बोले- चुने हुए जनप्रतिनिधि की अनदेखी, जनता के साथ अन्याय,

गुना  गुना को नगर निगम का दर्जा दिलाने की दिशा में चल रही प्रक्रिया अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। हरिपुर ग्राम पंचायत को प्रस्तावित नगर निगम क्षेत्र से बाहर रखने की संभावनाओं के बीच गुना विधायक पन्नालाल शाक्य ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए साफ कहा है कि यदि हरिपुर को शामिल नहीं किया गया, तो वे स्वयं गुना को नगर निगम बनाए जाने का विरोध करेंगे। मंगलवार को अपने कार्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में विधायक ने इस मुद्दे पर जमकर प्रशासन और रसूखदारों को आड़े हाथों लिया।

विधायक शाक्य ने कहा कि हरिपुर गांव गुना शहर से लगा हुआ है और वहां सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर एफडीडीआई संस्थान की स्थापना की थी, लेकिन आज यह संस्थान बदहाली का शिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ प्रभावशाली लोग नहीं चाहते कि यह क्षेत्र नगर निगम में आए, क्योंकि इससे उनके निजी स्वार्थों को नुकसान पहुंचेगा। “ उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर एक सरपंच की असहमति को इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है? “यदि प्रशासन दो लाख से ज्यादा की जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि की बात नहीं मानेगा और एक व्यक्ति के विरोध पर फैसले होंगे, तो फिर लोकतंत्र की मूल भावना कहां रह जाएगी?” विधायक ने कहा।

शाक्य ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद नगर निगम की प्रक्रिया शुरू हुई थी और एक बैठक में जिले के 36 गांवों को नगर निगम में शामिल करने की सहमति बनी थी। उस बैठक में प्रस्तुत नक्शे को खुद कलेक्टर ने बेहतर बताया था। लेकिन अब हरिपुर को हटाने की चर्चा हो रही है, जो सीधे-सीधे जनविकास के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने हरिपुर को हटाया तो वे इस फैसले के खिलाफ मुख्यमंत्री से लेकर दिल्ली तक आवाज उठाएंगे। “मैं कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं चाहता। मेरे पास कोई जमीन नहीं है, मैं पैतृक गांव में ही रहता हूं। लेकिन जनहित में चुप नहीं बैठूंगा,” उन्होंने कहा।

विधायक ने प्रशासनिक रवैये पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई जनहित प्रस्ताव दिए, जैसे विवेक कॉलोनी से बायपास तक पुल निर्माण का प्रस्ताव, लेकिन उन पर कोई विचार नहीं हुआ। “हम आरक्षित वर्ग से आते हैं, शायद इसलिए हमारी बातों को प्राथमिकता नहीं दी जाती। जबकि जो न चुने गए हैं, न चुनाव लड़े हैं, उनकी बातें तुरन्त मानी जाती हैं।” प्रेसवार्ता के अंत में उन्होंने दोहराया कि यदि प्रशासन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करता रहा, तो वे मजबूर होकर सरकार के सामने अपना पक्ष कड़े शब्दों में रखेंगे। “मैं अपनी सरकार से नहीं लड़ रहा, लेकिन व्यवस्था की खामियों को जरूर उजागर करूंगा,” उन्होंने कहा। इस मौके पर भाजपा के मीडिया प्रभारी विकास जैन सहित अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।-

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