पहलगाम के दोषियों की सज़ा हमारी ज़िन्दगी है: निज़ामी , हमें दिल्ली नहीं दिल जीतने की फ़िक्र करना है , हमने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात कही है

इरफान अंसारी उज्जैन

पहलगाम के दोषियों की सज़ा हमारी ज़िन्दगी है: निज़ामी , हमें दिल्ली नहीं दिल जीतने की फ़िक्र करना है , हमने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात कही है

उज्जैन : आतंकवाद के विरुद्ध अब निरंतर सख़्त कार्यवाही की आवश्यकता है। आतंक का प्रकार चाहे जो हो, हर स्तर पर उसका सर कुचल कर यह सुनिश्चित करना होगा कि अब कभी ऐसी कोई दर्दनाक घटना ना हो।

     यह बात सुप्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय शायर, साहित्यकार, चिंतक और वक्ता अहमद रईस निज़ामी ने कही। “देश की वर्तमान परिस्थितियों में हमारी भूमिका” विषय पर संबोधित करते हुए निज़ामी ने कहा कि पहलगाम की आतंकवादी घटना और उसमें शहीद हुए बेकुसूर नागरिकों के शव देख कर हमें अपनी बेबसी और कमज़ोरी का एहसास होता है। इंसानियत के दुश्मनों का यह पहला वार नहीं है, इससे पूर्व भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। आख़िर यह सब कुछ रोक पाने में हम विफल क्यों हैं। क्या हमारे खून की क़ीमत का हमें ख़ुद को अंदाज़ा नहीं।

बहुत दर्दनाक स्थिति है ये, इसे तत्काल परिवर्तित करने की आवश्यकता है।

    इतनी कड़ी चौकसी और सुरक्षा के बावजूद आतंकवादी अपने नापाक मनसूबों में कैसे कामयाब हो गए, हम से कहां चूक हुई, यह नज़र अंदाज़ करने वाली बात नहीं, बल्कि गहन चिंता का विषय है। समस्या के स्थायी समाधान के लिए वास्तविकता का पता लगा कर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दोषियों को कड़ी सज़ा मिल सके।

*कोई पाकिस्तानी नहीं*

*देश एक जुट है*

     निज़ामी ने कहा कि देश और इंसानियत के दुश्मनों के विरुद्ध समस्त देशवासियों को हमने हमेशा एक जुट पाया है। यह हमारे देश की वास्तविक शक्ति है, इसे स्थायित्व प्रदान करने की आवश्यकता है।

   इसके लिए सबसे पहले हमें साम्प्रदायिक टकराहट और नफ़रत को मिटा कर राष्ट्रीय एकता, अमन और भाई चारे को महत्व देना होगा। सांप्रदायिक टकराहट आतंकवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई को कमज़ोर कर देगी। सरकार और देशवासियों को विश्वास करना होगा कि भारत में रहने वाले समस्त मुसलमान भारतीय हैं पाकिस्तानी नहीं।

*दिल्ली नहीं दिल जीतें*

    निज़ामी ने कहा कि लोग दिल के बजाय दिमाग़ का उपयोग कुछ ज़्यादा ही करने लगे हैं। हर काम में राजनीतिक सोच ठीक नहीं।

हमें दिल्ली नहीं दिल जीतने के प्रयास करना होंगे, अर्थात राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की प्राप्ति और सत्ता हथियाने के प्रयासों के बजाय हमें आम भारतवासियों के दिल जीतने होंगे। प्रत्येक नागरिक का विश्वास हासिल करना होगा। दिलों को जीत लेने का हुनर जिन्हें आ जाता है वो हर जंग जीत लेते हैं।

*जन जागरण*

    आतंकवाद के विरूद्ध प्रत्येक स्तर पर जन जागरण की आवश्यकता है। इस जन जागरण अभियान में बिना भेद भाव के देश के प्रत्येक नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए हर प्रकार के आतंक को परिभाषित कर उसे निशाना बनाया जाना चाहिए ताकि हमारा देश प्रेम और मोहब्बत का महकता हुआ गुलशन बन कर पुनः सोने की चिड़िया बन सके।

*अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर*

*भारत की बात*

     निज़ामी ने कहा कि मैं ने दुनिया के विभिन्न देशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों, कवि सम्मेलन मुशायरों में हमेशा देश हित की बात कही है और करता रहूंगा। अब तक 33 अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में दुनिया भर के हिन्दू मुस्लिम साहित्यकारों की उपस्थिति में जब जब हमने अपने देश की, इंसानियत की बात करते हुए आतंकवाद पर प्रहार किये हैं, हर वर्ग का समर्थन हमें प्राप्त हुआ है, जिससे अंदाज़ा होता है कि आम लोगों में आतंकवाद के विरूद्ध नफ़रत पाई जाती है। हम इस अभियान को जारी रखेंगे।

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