ऐसी सोच और कर्म व्यक्ति को महान बनाते है, सेवा का संकल्प ही मेरा धर्म :- धीरज पाण्डेय गुरु कार्ष्णि माई शारदा की प्रेरणा से सुरु हुआ मानव सेवा का कार्य

ज्ञानेंद्र यादव की रिपोर्ट

ऐसी सोच और कर्म व्यक्ति को महान बनाते है, सेवा का संकल्प ही मेरा धर्म :- धीरज पाण्डेय गुरु कार्ष्णि माई शारदा की प्रेरणा से सुरु हुआ मानव सेवा का कार्य

          लोग कहते भी है हमने सुना भी है कि व्यक्ति के कर्म और धर्म उसे महान बनाते है केवल महंगी गाड़ियों से चलना हवेलियों में खड़े होकर इतराने,छल छद्म कर अकूत दौलत इकट्ठा कर लेने से व्यक्ति महान नही बन सकता उसकी यह कमाई एकदिन तीसरी गति को चली जाती है यदि कमाई में धर्म नही जुड़ा तो उसे खत्म या नष्ट कर देने के लिए एक कपूत पर्याप्त होता है।

          जो कार्य आज धीरज पाण्डेय माई के रसोई के नाम से कर रहे है उसको लोग लोभ लालच से जोड़कर उपहास का पात्र बना सकते है लेकिन यह कार्य उनके बूते का नही है। ये सोच है उन संस्कारो की जो धीरज पाण्डेय को अपने माता पिता गुरुओं से मिली ये प्रेरणा है त्रिकूट पर बैठी शक्तिस्वरूपा माई शारदा कि जिनके आशीर्वाद से इन पुण्य कार्यो का निर्विघ्न संचालन माई की नगरी मैहर में हो रहा है।

         माई की डेहरी से टेंट के नीचे उम्दा सोच के साथ निश्छल भाव से किया गया कार्य आज बृहद रूप लेता जा रहा है। माई की रसोई क्रमांक एक फिर दो और तो और पवित्र कुम्भ के दौरान शहर के चाक चौराहों में आने वाले हर दर्शनार्थी को चाहे वह अमीर हो या गरीब हो सभी को समान भाव से भरपेट खिलाया जा रहा है। हमारे बड़े बुजुर्ग साधु संत भी यह बात कहते है कि सबसे बड़ा पुण्य भूखे को भोजन कराना है। धीरज पाण्डेय के इस पुनीत कार्य की गूंज माई की नगरी से देश के कोने कोने तक पहुँच रही है इससे बड़ी सोहरत कुल परिवार के लिए क्या हो सकती है इससे बड़ी दौलत क्या हो सकती है इससे बड़ा संकल्प मानव सेवा क्या हो सकती है। धीरज पाण्डेय का यह कार्य उन्हें एकदिन पूरे देश मे अमिट पहचान दिलाएगा जिसे लोग करोड़ो अरबो खर्च कर नही कमा पाएंगे।

         कुम्भ के पावन महीने में जहां लोग कुम्भ स्नान कर माई के दर्शन करने आ रहे है जहां लोग जन कल्याण में जेब का एक रु खर्च करने को तैयार नही वहां धीरज पाण्डेय द्वारा शहर में स्टाल लगा भोजन कराने का निःशुल्क कार्य अपने आप मे सेवा संकल्प का अद्वतीय उदाहरण बनता जा रहा है।

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