*सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन*
अखिल भारतीय साहित्य परिषद व चेतना साहित्य एवं कला परिषद के संयुक्त तत्वाधान में मंगलमय नव वर्ष व अयोध्या में प्रभु श्री राम के नव्य, भव्य और दिव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के पुनीत दिन को दीपावली सम रूप देने राधा कॉलोनी में सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी के आरंभ में हरीश सोनी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु साथी ने कहा कि वर्तमान में गुना में साहित्य का नई पीढ़ी द्वारा प्रशसनीय सृजन किया जा रहा है, यह बड़े गौरव की बात है। अपनी रचना को प्रस्तुत करते हुए कहा कि रंग खुशबू रूप यौवन का मिलन अच्छा लगा। आपके स्नेह का मानस भवन अच्छा लगा।।
शायर प्रेम सिंह प्रेम ने कहा कि
बढ़ती उम्र बेटी की चैन से सोने नहीं देती।
ज़रूरतें गृहस्थी की हंसने-रोने नहीं देती।
कुछ इस तरह से घिरा हूं घर के जंजाल में,
की जवाबदारियां मुझे बूढ़ा होने नहीं देती।
गीतकार हरीश सोनी ने कहा कि
तुम्हारी उम्र कटी बिजलियाँ गिराने में,
गरीब दिल मेरा आता रहा निशाने में।
हमारे दोष तो मालूम हैं जमाने को,
तुम्हारा राज छिपा जाने किस खजाने में।।,
ओज के कवि दिनेश बिरथरे










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