आखिर पशु घोटाले के आरोपी पर कार्रवाही करने में प्रशासन असहाय क्यो ?जिला पंचायत तथा जांच अधिकारी एसडीएम की भूमिका बनी संदेहास्पद्र,प्रदेश भर में चर्चित ग्राम पंचायत सांईखेड़ा पर अधिकारी मेहरवान
आखिर पशु घोटाले के आरोपी पर कार्रवाही करने में प्रशासन असहाय क्यो ?जिला पंचायत तथा जांच अधिकारी एसडीएम की भूमिका बनी संदेहास्पद्र,प्रदेश भर में चर्चित ग्राम पंचायत सांईखेड़ा पर अधिकारी मेहरवान,
रायसेन जिले तहसील सिलवानी ग्राम पंचायत सांईखेड़ा में गौमाता के पशु आहार में लाखो रुपए के घोटाले के आरोपी पर घोटाला उजागर होने के करीब 15 दिन बाद भी कार्रवाही ना होने से जिला पंचायत तथा जांच अधिकारी एसडीएम की भूमिका संदेहास्पद्र होती जा रही है, प्रदेश भर में चर्चित हो चुके गौशाला प्रकरण को जिला प्रशासन भी नजर अंदांज कर रहा प्रतीत हो रहा है। ज्ञात रहे कि जांच अधिकारी एसडीएम ने पहले 3 से 4 दिन तथा बाद में 7 दिन में कार्रवाही किए जाने की बात मीडिया से कही थी।
जनपद पंचायत सिलवानी के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सांईखेड़ा में संचालित राधाकृष्ण गौशाला में पशु आहार में हुए भृष्टाचार और घोटाले का मामला दिन पर दिन गहराता चला जा रहा है। राधाकृष्ण गौशाला के संचालन में सिलवानी के पशु विभाग के डॉक्टरों की मिली भगत से पशु आहार की राशि 16 लाख में जमकर वंदरवाट करते हुए अपने नजदीकी रिश्तेदारों और मित्रों को रेवड़ीयां बांट दी गई है। और राधाकृष्ण गौशाला जो कि मई 2023 से लेकर 9 जनवरी 2024 तक बंद होने के उपरान्त पशु पालन विभाग के चिकित्सको के द्वारा गौशाला चालु होने का प्रमाण पत्र जारी किया गया। बंद गौशाला को चालू गौशाला होने का प्रमाणीकरण प्रस्तुत प्रतिमाह करने के उपरान्त गौसंवर्धन बोर्ड भोपाल के द्वारा पशु आहार जारी किया जाता रहा। जो कि सरपंच के निवास पर उतरता रहा। और जब गौशाला की राशि 15 लाख 93 हजार आहरण करने के मामले में वर्तमान सचिव सांईखेड़ा हनुमंत सिंह रघुवंशी के द्वारा गौशाला गायों का पशु आहार की राशि आहरण करने से इंकार करने पर जिला पंचायत कार्यालय से वर्तमान सचिव पर कोई आरोप प्रत्यारोप तय हुए वगैर बटेर ग्राम पंचायत के सचिव तखत सिंह को आदेश क्र 2659 दिनांक 14 जून 2024 को वित्तीय अधिकार प्रदान किये गये और तखत सिंह के वित्तीय अधिकार मिलते ही गौशाला की राषि करीब 16 लाख रुपए का भुगतान सरपंच के नजदीकी रिश्तेदारों के खातों में प्रदान करने के उपरान्त 9 जुलाई को सांईखेड़ा में चंद दिनों के लिए पदस्थ किये गये तखत सिंह को आदेश क्र 3065 के तहत बापिस मूल पंचायत बटेर भेज दिया गया। जिसमें जनपद पंचायत सिलवानी के प्रतिवेदन के आधार पर जिला पंचायत से तखत सिंह को वित्तीय अधिकार प्राप्त हुए थे। वहीं इस पूरे मामले की जांच के लिए सिलवानी के एसडीएम को जांच सौंपी गई जो करीब 15 दिन में भी जांच कार्य अधर में लटका हुआ है। और एसडीएम के द्वारा की जा रही जांच पर भी सवालिया निशान उठते हुए दिखाई दे रहे है।
इस प्रकरण का मजेदार पहलु यह है कि 30 जून को जिला पंचायत के द्वारा तखत सिंह को वित्तीय अधिकार सोंपे गये थे। और उक्त सचिव के द्वारा राशि आहरण की गई और तखत सिंह पर कार्यवाही होने की बजाय जिला पंचायत के द्वारा 12 जुलाई को आदेश क्र 3146 के अंतर्गत सचिव हनुमंत सिंह को कारण बताओं सूचना पत्र जारी कर दिया गया है यह मामला भी चर्चाओं में आ चुका है कि करे कोई और भरे कोई ।
जिला पंचायत तथा जांच अधिकारी एसडीएम की भूमिका प्रारंभ से ही संदेह के दायरे में देखी जा रही है। गौमाता के आहार में घोटाला किए जाने का मामला संपूर्ण प्रदेश मे चर्चित होने के एक पखवाड़े बाद भी दोषियो पर घोटाले के प्रमाण होने के बाद कार्रवाही ना की जाना अनेक संदेहो को जन्म दे रहा है। बताया जा रहा है कि उक्त प्रकरण में कार्रवाही ना होने से मामला उच्च न्यायालय जबलपुर तक पहुंच सकता है? इतना ही नही अपुष्ट सूत्रो की बात पर विश्वास किया जावे तो आगामी विधानसभा सत्र में भी पशु आहार घोटाला की गूंज सुनाई दे सकती है।
जांच अधिकारी मीडिया से नही कर रहे बात-
जांच अधिकारी एसडीएम से पशु आहार घोटाले को लेकर कई बार बात करनी चाही तो उनके द्वारा मीडिया का मोबाइल रिसीव नही किया गया बल्कि यदि फोन भी रिसीव कर लिया तो व्यस्तता होने का कह कर बात खत्म कर दी।
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